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Monkeypox: मंकीपॉक्स का मामला सामने आने के बाद केंद्र ने भेजी टीम, इस राज्य में मिला है पहला केस

India Monkeypox: केरल के कोल्लम में मंकीपॉक्स का पहला केस दर्ज किया गया है. मामले की खबर लगते ही केंद्र की तरफ से टीम भेजी जा रही है. यह टीम 15 जुलाई को केरल जाएगी. इस टीम में 4 डॉक्टर होंगे.    

फाइल फोटो
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Pooja Makkar|Updated: Jul 14, 2022, 10:27 PM IST

India Monkeypox First Case: केरल में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद केंद्र की तरफ से जिन 4 डॉक्टरों की टीम भेजी जा रही है. इनमें स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार डॉक्टर पी रविंद्रन, दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज के संकेत कुलकर्णी, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर अरविंद कुमार और डॉक्टर अखिलेश हैं.

सतर्क हुई सरकार

भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार सतर्क हो गई है. केरल के कोल्लम में संक्रमण का पहला मामला सामने आया है. पहल केस दर्ज होने के बाद केंद्र की तरफ से 4 सदस्यी डॉक्टरों की टीम भेजी जा रही है.

गाइडलाइंस की गई तय

बता दें कि इसको लेकर सरकार ने 31 मई से ही एक्शन मोड में काम करना शुरू कर दिया था. इलाज की गाइडलाइंस भी तय कर दी गईं थी. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, संक्रमण को लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग या पीसीआर टेस्ट ही कंफर्म माना जाएगा.

WHO ने बढ़ाई कैटगरी

वहीं, WHO ने मंकीपॉक्स के खतरे का स्तर बढ़ाया है. वैश्विक स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मंकीपॉक्स फैलने के खतरे को अब निम्न से मध्यम कैटेगरी में कर दिया गया है. मंकीपॉक्स का कोई भी संदिग्ध केस पाए जाने पर सैंपल को जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी भेजा जाएगा. 

21 दिन आइसोलेशन

वहीं, केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की निगरानी की जाएगी. संक्रमित को 21 दिनों के दौरान आइसोलेशन में रखा जाएगा. मामलों संक्रमण के स्रोतों की जल्द पहचान करने के लिए एक निगरानी रणनीति का प्रस्ताव दिया गया है. 

जानवरों में फैलने से अधिक खतरा

बता दें कि इस वायरस के मामले उन देशों से भी सामने आ रहे है, जो किसी तरह से अफ्रीका से नहीं जुड़े हैं और इस वायरस ने महामारी का रूप ले लिया है. मई में इस वायरस का पहला मामला सामने आया था और अब यह तक दो दर्जन देशों में फैल चुका है. ये भी चिंता है कि यदि यह वायरस जंगली जानवरों मे फैल गया तो फिर इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा.

जल्द पकड़ में नहीं आता संक्रमण

 WHO के मुताबिक, यदि यह वायरस कम कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को  चपेट में लेता है, जो जल्द बीमार पड़ते है तो जोखिम बढ़ जाएगा. मंकीपॉक्स के अचानक सामने आए मामलों से लगता है कि यह संक्रमण मानव द्वारा फैलता है. यह संक्रिमत व्यक्ति की त्वचा अथवा लार के सम्पर्क में आने से फैलता है. इससे संक्रमित रोगी बिना वायरस की पहचान के कई सप्ताह तक घूमता रहता है. मंकीपॉक्स के लक्षण सामने आने में 7 से 15 दिन तक का वक्त लग सकता है.
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(एजेंसी इनपुट के साथ)
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