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Dhirendra Shastri: अध्यात्म की तरफ कैसे आए बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री? खास इंटरव्यू में खोल दिया राज

Holi 2023: बाबा बागेश्वर ने कहा कि होली का महोत्सव बुंदेलखंड से ही शुरू हुआ. बुंदेलखंड में एक जिला है झांसी. झांसी से 80 किमी दूर एरच नाम का एक गांव है. ऐसी मान्यता है कि ये गांव बहुत प्राचीन गांव है. जहां पर डिकोली के पास में हिरण्यकश्यप का राज्य माना जाता है. उस गांव में आज भी होलिका दहन की परंपरा है.

Dhirendra Shastri: अध्यात्म की तरफ कैसे आए बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री? खास इंटरव्यू में खोल दिया राज
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Devang Dubey Gautam|Updated: Mar 07, 2023, 06:33 PM IST

Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम के महाराज पंडित धीरेंद्र शास्त्री काफी चर्चा में बने रहते हैं. इन दिनों इनके कई वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. इस बीच, उन्होंने होली के मौके पर Zee News से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि वह अधयात्म में कैसे आए. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि आज वो जिस भी मुकाम पर है वो अपने दादा गुरुजी के कारण हैं. 

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि बचपन से ही उनका झुकाव अधयात्म की तरफ था. हमारे दादा गुरुजी मंदिर के पास झोड़पी में रहते थे. पिताजी के नाम पर खेती थी. पिताजी मंदिर आते थे और हम भी उनके साथ आते थे. हमारे घर की परंपरा रही है कि वंश में कोई एक मंदिर में सेवा करता है. दादाजी सेवा करते थे. हम रोज आते थे. मैं दादाजी को देखा करता था. उनके पास बड़े-बड़े अधिकारी आते थे. उन सब चीजों से मेरा आकर्षण दादा गुरुजी के प्रति बढ़ा. उसे समय हालात ठीक नहीं थे. भोजन की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी. हमने भीक्षा लेना शुरू किया और उससे जो मिलता था उससे घर चलता था. मन में दुख रहता था. हम घर में बढ़े थे. हमें ये सब देखकर पीड़ा होती थी. दादा गुरुजी सिलेट पर लिखते थे, हमको झूठी चाय पिलाते थे. हमको वो बहुत मानते थे. उन्होंने हमें बालाजी के साथ जोड़ा. वो बोलते थे कि इससे बड़ी संपत्ति कोई नहीं हो सकती. 2010 में उनका निधन हो गया. आज हम जो भी हैं उनके कारण हैं. 

'यहीं से शुरू हुआ होली का महोत्सव'

बाबा बागेश्वर ने कहा कि होली का महोत्सव बुंदेलखंड के ही शुरू हुआ. बुंदेलखंड में एक जिला है झांसी. झांसी से 80 किमी दूर एरच नाम का एक गांव है. ऐसी मान्यता है कि ये गांव बहुत प्राचीन गांव है. जहां पर डिकोली के पास में हिरण्यकश्यप का राज्य माना जाता है. उस गांव में आज भी होलिका दहन की परंपरा है. प्रह्लाद और होलिका की मूर्ति है. नदी के पास ही एक पर्वत है. मान्यता है कि उस पर्वत से ही प्रह्लाद जी को नीचे फेंका गया था. लेकिन भगवान की रक्षा से वो बच गए थे.

बुंदेलखंड और उसके आसपास के क्षेत्र के लिए क्या सोच रहे हैं बाबा बागेश्वर? इस सवाल पर उन्होंने कहा, बुंदेलखंड के इतिहास में आजतक जो भी सनातन विरोधी रहे हैं वो हमेशा जले हैं. भक्त हमेशा बचे हैं. हमें ईश्वर पर विश्वास करना चाहिए.  बुंदेलखंड के लोग भोले-भाले होते हैं. ये क्षेत्र रंगों से भरा पड़ा है. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड साधन से जरूर पिछड़ा है लेकिन साधना से संपन्न है. हमारे दादा गुरुजी बुंदेलखंड के ही हैं. वो आगे कहते हैं कि बागेश्वर धाम में दिन-रात में मेला लगा रहता है. यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता. 

भगवान राम और भगवान हनुमान ने क्या कभी होली खेली? इसपर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि बिल्कुल खेली है. हनुमान जी ने लंका में रावण के साथ खेली है. उन्होंने भगवान रामजी के साथ भी होली खेली है.

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