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Super Grand Mother: 105 साल की 'सुपरदादी' ने लगाई ऐसी दौड़, 100 मीटर की रेस जीती; लोग बोले 'उड़नपरी'

Dehradun news: पूरे देश में हरियाणा की सुपरदादी रमाबाई के हौसलों की चर्चा हो रही है. 105 साल की उम्र में इस तरह रिकॉर्ड बनाकर दादी ने दिखा दिया कि उम्र तो बस एक नंबर होती है.

प्रतियोगिता में युवाओं के साथ बुजुर्ग खिलाड़ियों ने भी दम दिखाया.
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Shwetank Ratnamber|Updated: Jun 28, 2023, 09:03 AM IST

105 year old grand mother won 100 meters race: देहरादून (Dehradun) में आयोजित नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 105 साल की दादी ने ऐसी दौड़ लगाई कि लोग बस देखते रह गए. यहां बात अलवर की पूर्व महारानी की याद में आयोजित युवरानी महेंद्रकुमारी राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप की जहां 100 मीटर रेस में वेटरन खिलाड़ी हरियाणा निवासी रामबाई ने प्रथम स्थान हासिल कर लोगों को दातों तले उंगलिया दबाने पर मजबूर कर दिया. उम्र का शतक लगा चुकीं ये दादी उन लोगों के लिए मिसाल हैं जो कहते हैं कि उम्र बढ़ने पर शरीर और हौसला दोनों कमजोर हो जाते हैं. 

दादी दौड़ी तो लगीं 'उड़नपरी'

इस प्रतियोगिता में देशभर के युवाओं के साथ बुजुर्ग खिलाड़ियों ने भी अपना दम दिखाया. दादी ने जब दौड़ शुरू की तो लोग बस उन्हें देखते रह गए. सुपरदादी रामबाई अपनी तीन पीढ़ियों के साथ इस रेस में हिस्सा लेने पहुंची थीं. उम्र के इस पड़ाव में वो कोई सप्लिमेंट या प्रोटीन शेक नहीं लेती हैं. दादी प्रकति के करीब रहती हैं. वो शुद्ध देशी खाना खाती हैं. दूध और देसी घी उनका प्रिय है. नियमित योग और एक्सरसाइज के दम पर दादी आज भी एकदम स्वस्थ्य और फिट हैं. आज के युवा जहां जरा-जरा सा काम करने या एक्सरसाइज करने में आलस करते हैं, ऐसे में ये दादी दौड़ लगातर सभी को स्वस्थ्य जीवन का टिप्स देती हैं. 

एथलीट दादी का दम

100 मीटर दौड़ की विजेता 105 वर्ष की रामबाई ने बताया कि 100 मीटर दौड़ के अलावा उनकी बेटी संतरा और पोती शर्मिला सांगवान ने पांच किलोमीटर की रेस में हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि वो पहले भी ऐसी प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं. उनके पास कई मैडल हैं. वहीं तीन किमी दौड़ में 80 साल के एस राम प्रथम, तीन किमी वाक रेस में 75 वर्षीय जय सिंह मलिक प्रथम, 100 मीटर दौड़ में 85 वर्षीय जय सिंह मलिक ने प्रथम स्थान हासिल किया. पहले दिन दौड़ और जैवलिन थ्रो की प्रतियोगिताएं हुईं. लेकिन आकर्षण का केंद्र दादी ही रहीं जिन्होंने साबित कर दिया कि उम्र तो सिर्फ एक नंबर होती है.

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