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Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी परिसर मामले में आज वाराणसी कोर्ट में होगी सुनवाई, मुस्लिम पक्ष पेश करेगा दलील

Gyanvapi Masjid Case Latest Updates: क्या ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया जाना कानून सम्मत था या नहीं. इस पर आज वाराणसी की जिला अदालत में अहम सुनवाई होगी. इस सुनवाई पर दोनों पक्षों की नजरें टिकी हैं. 

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी परिसर मामले में आज वाराणसी कोर्ट में होगी सुनवाई, मुस्लिम पक्ष पेश करेगा दलील
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Zee News Desk|Updated: Jul 12, 2022, 12:19 PM IST

Gyanvapi Masjid Case Latest Updates: काशी के ज्ञानवापी केस में आज जिला जज की कोर्ट में सुनवाई की जाएगी. जिला जज एके विश्वेश दोपहर 2 बजे से ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में केस की मेरिट पर सुनवाई करेंगे. इस मामले में 4 जुलाई को भी कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष ने 52 बिंदुओं पर अपनी दलीलें अदालत के सामने पेश की थीं. आज होने वाली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष कोर्ट के सामने ज्ञानवापी से जुड़ा कानूनी पहलू सामने रखेगा. साथ ही सर्वे के आदेश और उसकी रिपोर्ट को खारिज करने की मांग करेगा.

मुस्लिम पक्ष पेश करेगा अपने तर्क

सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम पक्ष इस केस (Gyanvapi Masjid Case) की मेरिट खारिज करवाने के लिए अपना दावा पेश करेगा. मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद हिंदू पक्ष को कोर्ट के सामने अपना दावा पेश करने का मौका मिलेगा. मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने जी मीडिया से बातचीत में कहा कि वे कोर्ट में अपने मुवक्किल का दावा मजबूती से पेश करेंगे. 

वजूखाने में पाया गया था शिवलिंग

बताते चलें कि वाराणसी के तत्कालीन सिविल जज रवि दिवाकर ने ज्ञानवापी मामले में सर्वे का आदेश दिया था. इस सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में शिवलिंग पाया गया था, जिसे छेड़छाड़ कर फव्वारे का आकार देने की कोशिश की गई थी. इस सर्वे रिपोर्ट के सामने के बाद हिंदू पक्ष ने शिवलिंग को उसके संरक्षण में सौंपने की मांग की थी. वहीं मुस्लिम पक्ष पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट चला गया था.

जिला जज कर रहे मामले की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले (Gyanvapi Masjid Case) की सुनवाई करते हुए सिविल जज रवि दिवाकर से केस हटाकर जिला जज के पास भेज दिया था. इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उसे सिविल जज बुद्धिमता और कानून की जानकारी पर कोई शक नहीं है, लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे किसी वरिष्ठ जज द्वारा सुना जाना ठीक रहेगा. इसके बाद से मामले की सुनवाई जिला जज कर रहे हैं. 

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