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Gyanvapi Case Verdict: कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा? आगे की रणनीति से हट गया पर्दा

Gyanvapi Case:  वाराणसी की जिला अदालत ने कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी. कोर्ट का ये फैसला हिंदू पक्ष के हक में आया है.   

Gyanvapi Case Verdict: कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा? आगे की रणनीति से हट गया पर्दा
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Zee News Desk|Updated: Sep 12, 2022, 05:38 PM IST

Gyanvapi Case Progress: वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी. कोर्ट का ये फैसला हिंदू पक्ष के हक में आया है. 

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखने का निर्णय किया. उल्लेखनीय है कि इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं.

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. जिला न्यायाधीश ने पिछले महीने इस मामले में आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.

फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा? 

इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि अदालत का आदेश उचित नहीं है और कहा कि वे इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों की टीम अदालत के फैसले के बारे में विस्तार से बताएगी और फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी. 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद मामले में पूजा के स्थान के बारे में जो कुछ भी कहा, हमें उम्मीद थी कि मंदिरों और मस्जिदों से संबंधित सभी मुद्दों का समाधान किया जाएगा. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 को दरकिनार किया जा रहा है और ऐसे मामले उठाए जा रहे हैं.

वाराणसी की जिला अदालत को सौंपा गया था मामला

मई में सुप्रीम कोर्ट ने मामला वाराणसी के जिला न्यायाधीश की अदालत को सौंप दिया था और वहां से इसे निचली अदालत को भेज दिया गया था, जहां उस समय तक सुनवाई चल रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए वाराणसी में सिविल जज के समक्ष दीवानी मुकदमे की सुनवाई यूपी न्यायिक सेवा के एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी के समक्ष की जाएगी.

मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से एक महीना पहले, वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां होने का दावा करने वाली हिंदू महिलाओं की याचिका के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद के फिल्मांकन का आदेश दिया था. मस्जिद में फिल्मांकन की एक रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में वाराणसी की अदालत में पेश किया गया था, लेकिन हिंदू याचिकाकर्ताओं ने विवादास्पद रूप से कुछ ही घंटों बाद विवरण जारी किया.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के भीतर एक तालाब में एक 'शिवलिंग' मिला है, जिसका इस्तेमाल मुस्लिम नमाज से पहले 'वुजू' या शुद्धिकरण के लिए किया जाता है. उस वक्त मामले की सुनवाई कर रहे जज ने इस तालाब को सील करने का आदेश दिया था.

सदियों पुरानी मस्जिद के अंदर इस फिल्मांकन को ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि फिल्मांकन 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ है, जो 15 अगस्त, 1947 तक किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को बनाए रखता है.

मस्जिद समिति ने तर्क दिया था, इस तरह की याचिकाओं और मस्जिदों को सील करने से सार्वजनिक शरारत और सांप्रदायिक विद्वेष पैदा होगा, जिसका देशभर की मस्जिदों पर असर पड़ेगा. मस्जिद समिति ने 'रखरखाव' मामले में वाराणसी जिला न्यायाधीश की अदालत के समक्ष इसी तरह की दलीलें दीं, जबकि हिंदू याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दावा किया कि कानून उनके मामले को रोकता नहीं है और वे अदालत में साबित कर सकते हैं कि मस्जिद परिसर वास्तव में एक मंदिर था.

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