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Gujarat Riots: SC ने मोदी को मिली क्लीन चिट को रखा बरकरार, जानें कोर्ट ने क्यों ठुकराई जकिया जाफरी की अर्जी

Gujarat Riots: 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई SIT की क्लीन चिट को बरकरार रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पुलिस की कमी के बावजूद राज्य प्रशासन ने दंगों को शांत करने की पूरी कोशिश की.

Gujarat Riots: SC ने मोदी को मिली क्लीन चिट को रखा बरकरार, जानें कोर्ट ने क्यों ठुकराई जकिया जाफरी की अर्जी
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Arvind Singh|Updated: Jun 24, 2022, 07:13 PM IST

Gujarat Riots: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों (2002 Gujarat Riots) में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को SIT की क्लीन चिट को बरकरार रखा है. कोर्ट ने SIT की ओर से दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी (Ehsan Jafri) की पत्नी ने दायर की थी.

किसी और के इशारे पर काम कर रही हैं याचिकाकर्ता

जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस सीटी रविकुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ऐसा लगता है की जकिया जाफरी किसी और के इशारे पर काम कर रही थीं. उनकी याचिका में कई बातें ऐसी लिखी हैं जो किसी और के हलफनामे में दर्ज हैं. वो बातें झूठी पाई गई हैं.

अल्पसख्यकों के खिलाफ सरकारी मशीनरी की साजिश नहीं 

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि SIT ने सभी तथ्यों की ठीक से पड़ताल करके अपनी रिपोर्ट दी है. जांच के दौरान कोई ऐसे सबूत नहीं मिले हैं जिससे ये सन्देह भी होता हो कि राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा की साजिश उच्च स्तर पर रची गई.

नरेंद्र मोदी ने शांति बनाए रखने की अपील की

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पुलिस की कमी के बावजूद राज्य प्रशासन ने दंगों को शांत करने की पूरी कोशिश की. बिना वक्त गंवाए केंद्रीय सुरक्षाबलों और आर्मी को सही वक्त पर बुलाया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति बनाए रखने के लिए जनता से कई बार अपील की.

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निहित स्वार्थों के लिए झूठे आरोप लगाए गए

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले को 2006 में जकिया जाफरी की शिकायत के बाद कुछ निहित स्वार्थों के चलते 16 साल तक जिंदा रखा गया और  जो लोग भी कानूनी प्रकिया के गलत इस्तेमाल में शामिल हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए.

दंगों की साजिश वाली मीटिंग में मौजूद नहीं थे मोदी

कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट, आर बी श्रीकुमार, हरेन पांड्या ने निजी स्वार्थों के लिए इस मामले को सनसनीखेज बनाया, झूठे आरोप लगाए. इनकी ओर से आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी के साथ बड़े अधिकारियों ने मीटिंग में दंगों की साजिश रची. उनकी ओर से दावा ये किया कि वो इस मीटिंग में मौजूद थे, लेकिन हकीकत यह है कि वो उस मीटिंग में मौजूद नहीं थे. SIT की जांच में इनका दावा  झूठा पाया गया.

फरवरी 2012 में SIT ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी

साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरवरी 2012 में SIT ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. SIT का कहना था कि नरेंद्र मोदी और 63 अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक सबूत नहीं मिले हैं. SIT की क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका को मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया. इसके खिलाफ दायर जकिया जाफरी की याचिका को गुजरात हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट के आदेश को इसके बाद जकिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

भाजपा ने कांग्रेस पर लगाया आरोप

इस फैसले पर रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि SIT ने इस मामले की जांच की और क्लीन चिट दी. उन्होंने कहा कि यह सारी इन्वेस्टिगेशन UPA सरकार के दौरान ही हुई. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उन्होंने मोदी जी को बदनाम करने की साजिश रची इसी वजह से मोदी जी का वीजा रोका गया. उन्होंने कहा कि इस गंभीर मामले को सियासी चश्मे से देखा गया.

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