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'कल हो सकता है धरती रहने लायक नहीं रहे', गगनयान के लॉन्च से पहले ISRO चीफ को सताया ये डर

ISRO Upcoming Launch: नासा के मिशन के तहत 5 जून को अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर गया बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की पहली टेस्ट फ्लाइट 7 सितंबर को धरती पर लौट आई, लेकिन इसमें कोई एस्ट्रोनॉट नहीं लौटा. 

'कल हो सकता है धरती रहने लायक नहीं रहे', गगनयान के लॉन्च से पहले ISRO चीफ को सताया ये डर
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Rachit Kumar|Updated: Sep 20, 2024, 08:54 PM IST

ISRO Chief: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि गगनयान साल के अंत तक लॉन्च के लिए तैयार है, लेकिन इस पर सावधानी से आगे बढ़ना होगा. बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से मंजूर किए गए प्रोजेक्ट्स में शामिल गगनयान भारत का पहला इंसानी स्पेस मिशन है. सोमनाथ ने कहा, 'मैं नहीं चाहता कि बोइंग स्टारलाइनर के साथ जो हुआ वैसा कुछ दोबारा हो, इसलिए हमें बहुत सावधान रहना चाहिए.'

नासा के मिशन के तहत 5 जून को अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर गया बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की पहली टेस्ट फ्लाइट 7 सितंबर को धरती पर लौट आई, लेकिन इसमें कोई एस्ट्रोनॉट नहीं लौटा. अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अपने 8 दिन के प्रवास को आठ महीने तक बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा और अब उन्हें फरवरी में स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन वापस लाएगा. 

शुक्र पर भी भेजा जाएगा मिशन

सोमनाथ ने शुक्र ग्रह के रिसर्च पर भी जोर दिया. शुक्र ग्रह के रिसर्च के लिए ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन’ (वीओएम) भी केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंजूर किए गए प्रोजेक्ट्स में से एक है. इसके लिए 1,236 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. 

सोमनाथ ने कहा, 'कल हो सकता है कि कुछ कारणों से धरती रहने लायक नहीं रहे. इसलिए अगर आप मंगल और शुक्र ग्रह पर क्या हो रहा है, इसकी स्टडी नहीं करेंगे तो हो सकता है हमारी आने वाली पीढ़ी प्रभावित हो. शुक्र ग्रह इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत मंगल और चंद्रमा पर सफलतापूर्वक पहुंच चुका है.

2028 में हो सकता है मिशन लॉन्च

 इसरो प्रमुख के अनुसार, अगली पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) बनाने  में सात साल लगेंगे. इस स्पेसक्राफ्ट को इसरो के वर्तमान में संचालित प्रणालियों को बदलने के लिए बनाया जा रहा है. चूंकि शुक्र मिशन को मार्च 2028 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है, इसलिए इसे मौजूदा लॉन्च व्हीकल्स से ही लॉन्च किया जाएगा. 

सोमनाथ ने कहा, 'रूस, चीन और जापान भी 2030 तक शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने वाले हैं. इसलिए, 2028 तक, हमने 'लॉन्च व्हीकल मार्क-3' या एलवीएम-3 से अपना शुक्र मिशन लॉन्च करने का फैसला किया है.' 

उन्होंने कहा, 'शुक्र हमारा निकटतम ग्रह है, फिर भी यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण है.' सोमनाथ ने कहा, 'हालांकि हम पहले मंगल ग्रह पर गए थे, जो थोड़ा दूर है, वहीं शुक्र ग्रह करीब है, लेकिन यह मंगल ग्रह से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि शुक्र के वायुमंडल में पृथ्वी के मुकाबले 100 गुना ज्यादा दबाव है.' 

मंगल फतह कर चुका है भारत

शुक्र मिशन, मंगल मिशन के बाद भारत का दूसरा इंटरप्लैनेट मिशन होगा. मंगल मिशन 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था और इसने 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था. सोमनाथ ने स्पेस एक्सपो की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ स्पेस क्षेत्र में निवेश के लिए स्टार्टअप की ओर से दिखाई जा रही रुचि पर भी खुशी जाहिर की.

 उन्होंने कहा, 'जब मैंने आज कुछ स्टॉल देखे, तो मैं उद्योगों की तरफ से किए गए काम से वाकई प्रभावित हुआ. बदलाव पहले ही हो चुका है. आज, हम कई स्टार्टअप को अपने खुद के सैटेलाइट बनाते हुए देख सकते हैं. यह वह बदलाव है जो हम देख रहे हैं.'

(PTI इनपुट के साथ)

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