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Rajasthan Election: राजस्थान चुनाव की दशा बदल सकती हैं ये 4 जातियां, 30 सीटों पर पायलट का असर; क्या कहते हैं समीकरण?

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: राजस्थान में चार प्रमुख समुदाय हैं - राजपूत, जाट, मीणा और गुर्जर. इन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों में मिश्रित तरीके से मतदान किया, जिसमें बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस पांच साल बाद सत्ता में लौट आई.

Rajasthan Election: राजस्थान चुनाव की दशा बदल सकती हैं ये 4 जातियां, 30 सीटों पर पायलट का असर; क्या कहते हैं समीकरण?
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Rachit Kumar|Updated: Jun 04, 2023, 05:45 PM IST

Caste Calculations in Rajasthan: राजस्थान में इस साल दिसंबर में चुनाव होने हैं. इस राज्य का सामाजिक तानाबाना थोड़ा उलझा हुआ और जटिल है जिसे समझने के लिए जरूरी जाति समीकरण को समझना जरूरी है. वर्षों से ये जातिगत समीकरण कई पार्टियों के लिए चौंकाने वाले रहे हैं. पूर्वी बेल्ट राजस्थान का अहम क्षेत्र है जो मीणा और गुर्जर वोटों के प्रभुत्व के लिए जाना जाता है, जबकि शेखावाटी और मारवाड़ बेल्ट जरूरी जाट वोटों के लिए जाना जाता है.

मीणाओं ने 2018 में अपने समुदाय के सबसे बड़े नेता किरोड़ीलाल मीणा को खारिज कर सबको चौंका दिया था. जाटों में हनुमान बेनीवाल ने रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की, क्योंकि उन्होंने खुद को जाट नेता के रूप में पेश किया. उन्होंने विधानसभा चुनाव  निर्दलीय लड़ा और बाद में नागौर से बीजेपी के साथ गठबंधन किया. 

बाद में, उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा और जीत हासिल की. हाल ही में, उन्होंने कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़ लिया. बीजेपी ने हाल ही में इस क्षेत्र के मतदाताओं को लुभाने के लिए नागौर में अपनी राज्य कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की थी.

बेनीवाल का पायलट को समर्थन

हालांकि, बेनीवाल अभी भी अपने समुदाय के बीच मजबूती से खड़े हैं. उन्होंने घोषणा की है कि अगर सचिन पायलट अपनी पार्टी बनाते हैं तो वह उन्हें अपना पूरा समर्थन देंगे. 9 प्रतिशत आबादी के साथ जाटों का राजस्थान में सबसे बड़ा जाति समूह है. मारवाड़ और शेखावाटी क्षेत्रों में 31 निर्वाचन क्षेत्रों में जाटों का वर्चस्व है. इनकी अहमियत और एकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन विधानसभा क्षेत्रों से मतदाताओं ने 25 विधायक भेजे हैं.

कुल मिलाकर, 7 दिसंबर 2018 को हुए चुनाव में 200 सदस्यीय राज्य विधानसभा में उन्हें 37 सीटें मिलीं. जाटों के बाद 6 प्रतिशत आबादी वाले राजपूत हैं, जिनके पास 17 सीटें हैं. अगला समुदाय गुर्जर है, जिसका पूर्वी राजस्थान की लगभग 30-35 सीटों पर दबदबा है. वे परंपरागत रूप से बीजेपी के वोटर रहे हैं, लेकिन फिर उन्होंने अपने समुदाय के नेता सचिन पायलट के प्रति वफादारी दिखाते हुए कांग्रेस को वोट दिया.

30 सीटों पर समुदाय का प्रभाव

दौसा, करौली, हिंडौन और टोंक सहित कम से कम 30 सीटों पर समुदाय का प्रभाव है. मीणा और गुर्जर मिलाकर राज्य की आबादी में 13 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं. पार्टी के एक नेता ने कहा, गुर्जर परंपरागत रूप से बीजेपी के समर्थक रहे हैं, लेकिन पिछली बार पायलट की वजह से उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया था.

मीणाओं को कांग्रेस समर्थक माना जाता है, लेकिन तब उन्होंने अपने ही समुदाय के नेता किरोड़ीलाल मीणा को खारिज कर दिया था, जो राज्य के सबसे बड़े आदिवासी नेता होने का दावा करते हैं. पिछले चुनाव में 18 मीणा विधायक चुने गए थे; इनमें नौ कांग्रेस, पांच भाजपा और तीन निर्दलीय हैं.

मीणाओं ने अपने नेता किरोड़ीलाल मीणा के बीजेपी में लौटने के बावजूद कांग्रेस का समर्थन जारी रखा. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, समुदाय ने उम्मीदवार को देखे बिना कांग्रेस का समर्थन किया, क्योंकि बीजेपी सरकार में उनकी बात नहीं सुनी गई थी. अब सबकी निगाहें विधानसभा चुनाव 2023 पर टिकी हैं.

कहां वोट देंगे गुर्जर?

पहला अहम सवाल है कि गुर्जर वोट कहां देंगे? यह लाख टके का सवाल है क्योंकि समुदाय ठगा हुआ महसूस करता है कि उनके नेता को 2018 के चुनावों का चेहरा होने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था.

अब, इन अटकलों के बीच कि पायलट 11 जून को एक नई पार्टी का गठन करेंगे, यह सवाल और भी अहम हो जाता है. अगर समुदाय उनके साथ खड़ा होता है तो कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनावों में इन महत्वपूर्ण 30 से 35 सीटों के नुकसान का सामना करना पड़ेगा.

डोटासरा को मिल सकता है प्रमोशन

अगला जाट समुदाय है जो राजस्थान में फिर से बेहद है. जहां कांग्रेस के पास अपने पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हैं, जो एक प्रमुख जाट नेता हैं, वहीं बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया जाट हैं. जहां बीजेपी ने जाट समुदाय को नाराज करते हुए पूनिया को हटा दिया, वहीं सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस जाट नेताओं को लुभाने के लिए डोटासरा को डिप्टी सीएम के रूप में प्रमोट कर सकती है.बीजेपी ने बाद में जाटों के मजबूत वोट आधार को देखते हुए पूनिया को विपक्ष का उप नेता घोषित किया.

अगले अहम वोट बैंक मीणाओं पर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वे अपने शक्तिशाली नेता बीजेपी के किरोड़ीलाल मीणा को जिताने में मदद करेंगे.

कुल मिलाकर, राज्य में चार प्रमुख समुदाय हैं - राजपूत, जाट, मीणा और गुर्जर. इन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों में मिश्रित तरीके से मतदान किया, जिसमें बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस पांच साल बाद सत्ता में लौट आई.

(इनपुट-IANS)

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