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इन तीन शख्सियतों की मेहनत लाई रंग, जी 20 समिट में दोस्त-दुश्मन सब हुए एक

 G 20 Summit: जी 20 सम्मेलन के पहले दिन ही घोषणापत्र जारी होने को बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. आपको भी आश्चर्य होगा कि यह कैसे संभव हुआ. इस कामयाबी के पीछे तीन लोगों की अथक मेहनत बताई जा रही है. 

इन तीन शख्सियतों की मेहनत लाई रंग, जी 20 समिट में दोस्त-दुश्मन सब हुए एक
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Lalit Rai|Updated: Sep 10, 2023, 11:24 AM IST

G 20 Summit Latest News:  दिल्ली में आयोजित जी 20 मीटिंग को कामयाब समिट बताया जा रहा है. इस समिट की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि पहले दिन यानी 9 सितंबर को ही घोषणापत्र जारी हुआ. सबसे बड़ी बात यह कि समिट पर रूस यूक्रेन विवाद का साया नहीं पड़ा. इसके साथ ही दो आर्थिक गलियारों के बनाए जाने पर सहमति बनी. इस बैठक (g 20 meeting delhi) में भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर रूस,चीन और अमेरिका तीनों को मना लिया. यूक्रेन के पक्षधरों को समझाया तो रूस और चीन को भी बताया कि जब दुनिया उम्मीद भरी नजरों से हम लोगों की तरफ देख रही है तो विवाद के विषयों पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है. इस सफल बैठक के लिए तीन अहम लोगों की कोशिशें रंग लाईं जिसमें शेरपा अमिताभ कांत(amitabh kant), विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर(dr s jaishankar) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल(ajit dobhal) का नाम प्रमुख रुप से शामिल है.

अमिताभ कांत

जी 20 मीटिंग की तैयारी पिछले एक साल से चल रही था. शेरपा अमिताभ कांत सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और सिलसिलेवार हर एर बिंदु को समझाने की कोशिश की. अगर किसी ने अहसमति की बात कही तो उसने समझाने और मनाने की कोशिश की.इसके साथ ही जी 20 से जुड़े अधिकारियों ने सावधानी के साथ मसौदे को तैयार कर विवादि मुद्दों पर भी सहमति बनाने का आधार तैयार किया गया.

डॉ एस जयशंकर

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर(dr s jaishankar) ने पिछले 60 दिनों में करीब 48 बैठकें कीं और सभी बैठकों में बातचीत का आधार तैयार किया. बता दें कि इसी साल मार्च के महीने में जी 20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में सहमति नहीं बनी तो उन्होंने हिम्मत हारने की जगह बातचीत के जरिए एक बार फिर आगे बढ़ने की कोशिश की और उसका असर नजर आ रहा है. विदेश मंत्री के तौर पर इसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.

अजीत डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल(ajit doval) ने आखिरी समय में जबरदस्त शॉट खेला. उन्होंने यूक्रेन के मुद्दे पर ना सिर्फ चीन और रूस को समझाने में कामयाब हुए बल्कि जी 7 देशों को भी समझाया और अपनी कोशिश में वो कामयाब भी हुए, जिस तरह से चीन का रुख था, अमेरिका अड़ा हुआ था रूस अपने हितों को प्राथमिकता दे रहा था वैसे में आम सहमति का बन पाना मुश्किल लग रहा था. 

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