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DNA Analysis: भारत में जिहाद की 'दान पेटी', कहां जाता है दावत ए इस्लामी को फंड में मिला पैसा

DNA on Prophet Muhammad Controversy and Dawat-e-Islami: देश में देसी-विदेशी जिहादी संगठनों की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका पता पीलीभीत की दुकानों पर रखी गईं दावत ए इस्लामी की गुल्लकों से चलता है. इन गुल्लकों में मिले पैसे का इस्तेमाल जिहाद के लिए किया जाता है.

DNA Analysis: भारत में जिहाद की 'दान पेटी', कहां जाता है दावत ए इस्लामी को फंड में मिला पैसा
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Zee News Desk|Updated: Jul 05, 2022, 05:54 AM IST

DNA on Prophet Muhammad Controversy and Dawat-e-Islami: एक तरफ हमारे देश में हिन्दू देवी देवताओं के अपमान पर सन्नाटा छाया हुआ है. वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ दिनों में पैगम्बर मोहम्मद साहब के कथित अपमान (Prophet Muhammad Row) पर 2 लोगों की हत्या हो चुकी है. पहले उदयपुर में कन्हैया लाल का सिर धड़ से अलग करके उनकी हत्या की गई. फिर बाद में ये पता चला कि 21 जून को महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे को भी इसलिए मारा गया था, क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में Whatsapp Status लगाया था. अब बताया जा रहा है कि उमेश कोल्हे अकेले नहीं थे, जिन्हें नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर जान से मारने की धमकी मिली थी बल्कि शहर के और लोगों को भी ऐसे ही मामलों में डराया धमकाया गया था.

कई लोगों को दी गई सिर कलम करने की धमकी

इनमें एक व्यक्ति का नाम है डॉक्टर गोपाल राठी, जिन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में Whatsapp पर एक Status लगाया था. इसके बाद उन्हें मोबाइल फोन पर जान से मारने की धमकी दी गई और इस धमकी का एक ऑडियो क्लिप हमें मिल गया है. इसके अलावा हमें ये भी पता चला है कि धमकी देने वाले व्यक्ति ने अपना नाम राजिक मिर्जा बताया था और ये भी दावा किया था कि वो रहबर संस्था से जुड़ा हुआ है. ये वही संस्था है, जिसके संस्थापक इरफान शेख पर उमेश कोल्हे की हत्या करने का आरोप है. अमरावती में डॉ. गोपाल राठी अकेले नहीं हैं, जिन्हें इस्लामिक कट्टरपंथियों ने डराने की कोशिश की. उनके अलावा शहर के ही एक और व्यक्ति को ये कहकर धमकाया गया कि अगर उन्होंने नूपुर शर्मा का समर्थन किया तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा. ये सारे Audio Clips हमें मिल गए हैं. इन्हें सुनने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी सिर्फ़ एक खास समुदाय के पास बची है.

एक खास वर्ग तक सिमट गई अभिव्यक्ति की आजादी

भारत का संविधान किसी भी धर्म से ऊपर है. लेकिन हमारे देश में एक खास वर्ग के लोग लगातार ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वो इस संविधान को नहीं मानते. वो अभिव्यक्ति की आजादी का तभी तक सम्मान करेंगे, जब तक बात उनके पक्ष की होगी. इसलिए आज आपको ये तय करना है कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी को धर्म के नाम पर बांटा जा सकता है और क्या इसके नाम पर कन्हैया लाल और उमेश कोल्हे जैसे लोगों की हत्या की जा सकती है?

भारत में गहरी जड़ें हैं दावत ए इस्लामी की

उदयपुर हत्याकांड को लेकर सोमवार को कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. इस मामले में पुलिस ने जिन दो आरोपियों को गिरफ़्तार किया है, उनका कनेक्शन इस्लामिक संगठन दावत-ए-इस्लामी (Dawat-e-Islami) से बताया जा रहा है. ये वही संगठन है, जिसकी स्थापना पाकिस्तान के कराची में हुई थी और भारत में भी इस पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के गम्भीर आरोप लग चुके हैं. लेकिन इस संगठन को लेकर अब जो नई जानकारियां सामने आई हैं, वो चौंकाने वाली हैं. दिल्ली से लगभग 325 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में ऐसी सैकड़ों गुल्लकें मिली हैं, जिनकी मदद से इस संगठन को लाखों रुपये का चंदा मिलने का आरोप है.

चंदा लेने के लिए रखवा रखी हैं गुल्लकें

पीलीभत में ऐसी दुकानों की संख्या लगभग 250 है, जहां इस संगठन द्वारा चंदा इकट्ठा करने के लिए ये गुल्लकें रखी गई हैं. हैरानी की बात ये है कि इन गुल्लकों के बारे में इन दुकानदारों को भी ज्यादा जानकारी नहीं है. शहर काजी मौलाना जरताब खां ने आरोप लगाया है कि इन गुल्लकों में जो पैसा जमा होता है, वो सीधे इस संगठन के पास जाता है और फिर इस पैसे का दुरुपोग किया जाता है. पीलीभत में ऐसे कई मदरसे और स्कूल हैं, जिन्हें दावत-ए-इस्लामी (Dawat-e-Islami) द्वारा संचालित किया जा रहा है. अगर इन गुल्लक में जमा होने वाला पैसा इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने पर खर्च होता है तो ये बहुत गम्भीर बात है. 

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