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5 की परमीशन और 12 बच्चों का इलाज... किसकी शह पर चल रहा था गैरकानूनी बेबी हॉस्पिटल?

Delhi Baby Care Hospital incident: दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में हुआ हादसा भुलाए नहीं भूल रहा. इस हादसे ने 7 मासूमों की जान ले ली. चौंकाने वाली बात यह है कि 7 बच्चों की जिंदगी अस्पताल की लापरवाही के कारण गई.

5 की परमीशन और 12 बच्चों का इलाज... किसकी शह पर चल रहा था गैरकानूनी बेबी हॉस्पिटल?
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Gunateet Ojha|Updated: May 26, 2024, 10:35 PM IST

Delhi Baby Care Hospital incident: दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में हुआ हादसा भुलाए नहीं भूल रहा. इस हादसे ने 7 मासूमों की जान ले ली. चौंकाने वाली बात यह है कि 7 बच्चों की जिंदगी अस्पताल की लापरवाही के कारण गई. पुलिस ने अस्पताल के मालिक डॉक्टर नवीन को गिरफ्तार करते हुए बेबी केयर सेंटर के खामियों का खुलासा किया है. इस हादसे ने प्रशासन की अनदेखी की भी पोल खोल दी है. सवाल यह भी उठ रहा है कि नियम को ताक पर यह बेबी केयर सेंटर किसकी शह पर चल रहा था?

हादसे के बाद से फरार था डॉक्टर

पुलिस ने पूर्वी दिल्ली के बेबी केयर सेंटर के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है, जहां आग लगने से सात नवजात शिशुओं की मौत हुई है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि शनिवार देर रात आग लगने के बाद से डॉक्टर नवीन किची फरार थे. दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारियों ने कहा कि पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार इलाके में बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल में शनिवार रात करीब 11:30 बजे आग लग गई, जिसने आसपास की दो इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया. 

7 मासूमों की चली गई जान

उन्होंने बताया कि 12 नवजात शिशुओं को अस्पताल से निकाला गया, लेकिन उनमें से सात की मृत्यु हो गई. उन्होंने बताया कि पांच बच्चों का दूसरे अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. दिल्ली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ विवेक विहार थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 336 (दूसरों की जान खतरे में डालने वाला कार्य) और 304ए (लापरवाही से मौत का कारण बनना) के तहत मामला दर्ज किया है.

लापरवाहियों की भरमार

अब आपको 7 मासूमों की मौत के जिम्मेदार डॉक्टर नवीन और उसके गैरकानूनी अस्पताल की लापरवाहियों के बारे में बताते हैं. पुलिस ने बताया कि बेबी केयर न्यू बॉर्न चाइल्ड हॉस्पिटल को जारी किया गया लाइसेंस 31 मार्च को समाप्त हो गया था. लाइसेंस में केवल 5 बिस्तरों के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन घटना के समय अस्पताल में 12 नवजात बच्चे भर्ती थे.

अस्पताल में खामियां ही खामियां

इतना ही नहीं डॉक्टर नवजात शिशु प्रोत्साहन देखभाल की आवश्यकता वाले नवजात बच्चे का इलाज करने के लिए योग्य नहीं था, क्योंकि वह केवल बीएएमएस डिग्री धारक है. आग लगने की स्थिति में अस्पताल में कोई अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए थे. किसी भी आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास नहीं है.

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