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जी मीडिया ने गाजियाबाद में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर्स का किया रियलिटी चैक

राजेंद्र नगर हादसे के बाद जी मीडिया ने गाजियाबाद में बेसमेंट में चलाए जा रहे कोचिंग सेटर्स की किया रियलिटी चैक तो हैरान करने वाली वजह आई सामने   

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जी मीडिया ने गाजियाबाद में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर्स का किया रियलिटी चैक
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PIYUSH|Updated: Jul 30, 2024, 03:17 PM IST

Ghaziabad: दिल्ली में हुए कोचिंग सेंटर में छात्र-छात्राओं की मृत्यु के हादसे के बाद उत्तर प्रदेश में प्रशासन ने 20 मिनट में चल रहे संचालन और निर्माण कार्य के निरीक्षण के आदेश जारी किए हैं. तीन दिनों में संबंधित अधिकारियों को निरीक्षण की रिपोर्ट भी प्रशासन को भेजनी होगी. 

गाजियाबाद में हम रियलिटी चेक के लिए जब प्रताप विहार स्थित एक कोचिंग सेंटर में पहुंचे जहां नीट और जेई कोचिंग चलाई जा रही थी. वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम दिखाई नहीं दिए. बेहद घुटन भरे माहौल में छात्रों को पढ़ाया जाता होगा, क्योंकि वेंटिलेशन के यहां कोई खास इंतजाम दिखाई नहीं दे रहे थे. साथ में उजाले के लिए भी लाइट की कोई विशेष व्यवस्था हमें नजर नहीं आई. बेसमेंट में उतर रही सीढ़ियों से अगर एक बार में एक ही छात्र या छात्र ऊपर या नीचे चढ़ने या उतरने में भी बड़ा हादसा हो सकता है. इतना ही नहीं यहां कोचिंग का कार्य कर रहे स्टाफ ने भी बातचीत करने से मना कर दिया. 

बिल्डिंग मलिक ने भी यहां से रिपोर्ट दिखाने के लिए विरोध किया हालांकि टीचिंग स्टाफ में बताया कि वह हादसे की जानकारी के बाद यहां से अपनी कोचिंग सेंटर को अन्य किसी स्थान पर शिफ्ट करने का विचार कर रहे हैं जगह मिलने पर वह अन्य किसी स्थान पर कोचिंग शिफ्ट करेंगे. यहीं से कुछ आगे जब प्रज्ञा लाइब्रेरी में हमने रियलिटी चेक किया तो वहां से संचालक अतुल ने हमें बताया कि उन्हें दिल्ली हादसे के बारे में जानकारी है पर वहां पर बेसमेंट में हाइट कम थी. 

यहां हाइट की कोई दिक्कत नहीं है इसके साथ में फायर स्टैंड आदि के इंतजाम आदि किए गए हैं, हालांकि इमरजेंसी एग्जिट न होने पर उन्होंने कहा इसके लिए बात करके इसकी व्यवस्था कराई जाएगी. यहां 137 से ज्यादा छात्र रजिस्टर्ड है जो कि अपने कॉम्पिटेटिव एक्जाम की सेल्फ स्टडी के लिए यहां आते हैं छात्रों में से भी कुछ नहीं दिल्ली हादसे की बात सुनकर अपने आप को थोड़ा डर में बताया हालांकि शासन ने अधिकारियों को निर्देश जारी तो कर दी है पर जमीनी स्तर पर उनका निरीक्षण और उन्हें कब तक लागू किया जाता है यह देखने वाली बात होगी.

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