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Ramadan 2024: रमजान में रोजेदारों के लिए रोजा रखने का क्या होता है महत्व, INLD नेता ने बताई इसकी खासियत

रमजान का महीना गरीब लोगों की मदद करने का महीना होता है. खुदा का हुक्म है कि रोजेदार अपनी हैसियत के अनुसार इस महीने में गरीब लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें.

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Ramadan 2024: रमजान में रोजेदारों के लिए रोजा रखने का क्या होता है महत्व, INLD नेता ने बताई इसकी खासियत
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Zee Media Bureau|Updated: Apr 08, 2024, 10:03 PM IST

Ramadan 2024: रमजान का महीना गरीब लोगों की मदद करने का महीना होता है. खुदा का हुक्म है कि रोजेदार अपनी हैसियत के अनुसार इस महीने में गरीब लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें. नूंह विधानसभा से इनेलो के वरिष्ठ नेता हाजी सोहराब खान ने नूंह के नलहड मेडिकल कॉलेज में रोजेदारों को इफ्तारी करवाई. 

इस दौरान उन्होंने कहा कि रोजा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है, बल्कि गरीबों से हमदर्दी का नाम है. रोजेदार तब तक अपना रोजा इफ्तार नहीं कर सकता, जब-तक वह यह न देख ले कि उसके पड़ोसी के घर में खाने के लिए कुछ है भी या नहीं. अगर नहीं है तो उसका फर्ज बनता है कि पहले उसे खाना दे बाद में खुद खाए. रोजा इंसान को एक अच्छा इंसान बनाता है. इंसानियत का पता तब चलता है जब पेट भूखा हो. 

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हाजी सोहराब खान ने कहा कि रमजान में रोजेदार से खुदा कोई हिसाब-किताब नहीं लेता, रोजेदार जमकर गरीबों पर पैसा खर्च कर सकता है. जिस व्यक्ति के पास माल-ए-हैसियत होती है, उसे जकात देनी होती है. यह एक तरीके से टैक्स होता है अमीर वर्ग के ऊपर जो गरीब लोगों को दिया जाता है. एक रोजेदार को भूखे रहने के साथ अपनी आंख, कान, नाक, मुंह का भी रोजा रखना पड़ता है. अगर रोजे की हालत में रोजेदार के मुंह से किसी व्यक्ति के लिए कुछ गलत बात निकल गई तो उसका रोजा खुदा की बारगाह में कुबूल नहीं होगा. रोजा अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करता है, अगर किसी रोजेदार को लगता है कि वह रोजा रखकर भी गलत काम कर रहा है तो फिर उसका रोजा नहीं माना जाएगा. रोजेदार के लिए झूठ बोलना हराम होता है.

बता दें कि वैसे तो हर साल हाजी सोहराब रोजेदारों की मदद के लिए आगे आते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने नूंह के नलहड मेडिकल कॉलेज में मरीजों और तीमारदारों सभी को इफ्तारी कराने का बड़ा फैसला लिया है. करीब एक महीना होने को है. पहले रमजान के बाद से ही उनके द्वारा यहां पर रोजेदारों को इफ्तारी कराई जा रही है. हर दिन यहां पर सैंकड़ लोग इफ्तारी में शामिल हो रहे हैं. विशेष बातचीत के दौरान हाजी सोहराब ने कहा कि सबसे पहले हम इंसान हैं. एक इंसानियत के नाते हमें एक दूसरे की मदद व सहयोग के लिए आगे आना चाहिए. पाक रमजान माह से शुभ कार्यों की शुरुआत करनी चाहिए. 

INPUT: ANIL MOHANIA

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