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SYL पर बेनतीजा रही पंजाब-हरियाणा CM की मीटिंग, 46 साल बाद भी नहीं सुलझा विवाद

SYL Canal: सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चड़ीगढ़ में दोनों राज्यों के CM की मीटिंग चली जिसका कोई नतीजा सामने निकल कर नहीं आया. 

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SYL पर बेनतीजा रही पंजाब-हरियाणा CM की मीटिंग, 46 साल बाद भी नहीं सुलझा विवाद
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Zee News Desk|Updated: Oct 14, 2022, 02:51 PM IST

SYL Dispute: हरियाणा और पंजाब के बीच राजनीतिक खींचतान चल रही है. दोनों राज्यों के बीच सतलुज-यमुना लिंक (Satluj-Yamuna Link) नहर को लेकर विवाद चल रहा है. हरियाणा को पंजाब की नदियों से पानी देने के लिए बनाई जा रही सतलुज-यमुना लिंक नहर का निर्माण किया जाना है. 

इसी को लेकर दोनों राज्यों की सरकार अब एक दूसरे के आमने-सामने है.  ये विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. ये विवाद तक शुरू हुआ था जब 1966 में पंजाब को बांटकर उसमे से हरियाणा एक नया और अलग राज्य बनाया गया. 1976 में केंद्र सरकार ने पंजाब को पानी का कुछ हिस्सा हरियाणा को देने के निर्देश जारी किए. 

इसी को लेकर सतलुज नदी से यमुना नदी को जोड़ने की योजना बनाई गई, जिसे सतलुज-यमुना लिंक नहर कहा गया. इसी सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चड़ीगढ़ में दोनों राज्यों के CM की मीटिंग चली जिसका कोई नतीजा सामने निकल कर नहीं आया. दोनों सरकारों को इस मीटिंग के नतीजे की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने पोश करनी है. 

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क्या है SYL विवाद? 
- 1976 में पंजाब ने हरियाणा से 1 करोंड़ रुपये लिए और साल 1977 में SYL के निर्माण की मंजूरी दे दी, लेकिन फिर पंजाब ने नहर निर्माण को लेकर रूकावटें शुरू कर दी. 
- 1979 में हरियाणा ने SYL नहर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की मदद मांगी. तभी पंजाब ने हरियाणा को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 के तहत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. 
- 1980 में पंजाब सरकार का निलंबन हुआ. 
- 1981 में पीएम इंदिरा गांधी की सरकार के समय दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ. अगले साल 1982 में पीएम गांधी ने पटियाला में नहर का निर्माण कार्य शुरू करवाया. 
- नहर के निर्माण कार्य के शुरू होने के बाद शिरोमणि आकाली दल ने SYL के विरोध में मोर्चा खोला. साल 1985 में राजीव-लोंगेवास समझौता कराया गया, जिसमें नहर निर्माण पर सहमति हुई. 
- 1990 में इस नहर लिंक के निर्माण कार्य में जुटें दो इंजिनीयर की हत्या हुई. जिसके बाद हरियाणा के सीएम हुक्म सिंह ने निर्माण कार्य को BSF को सौंपे जानें की केंद्र सरकार से मांग की. 
-1996 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंता और साल 2002 और 2004 में दो बार SYL का निर्माण के निर्देश दिए गए. 
-2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीट बनाने की मांग की. 

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-2016 में 5 सदस्यों की संविधान पीठ बनाई गई, इसकी पहली सुनवाई की गई जिसमें दोनों पक्षों को बुलाया गया. इसी साल मार्च में दूसरी सुनवाई हुई जिसमें पंजाब में 121 किलोमीटर लंबी नहर को भरने का काम शुरू किया गया. 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस काम को रुकवा दिया गया. 
- 2019 में सरकार ने दोनों राज्यों की सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर ये काम दोनों राज्यों की सरकार नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद ही नहर का निर्माण कराएगा. 
-2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को मामलो को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया है, जिसके तहत आज चडीगढ़ में बैठक हुई जो कि बेनतीजा रही. 

क्या है पंजाब का रूख? 
SYL मामले को लेकर पंजाब के सीएम भगवंत मान राज्य के लिए पॉजिटीव और अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल साफ कर चुके हैं. वहीं राज्य के पूर्व सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेक के नेता भी कह चुके हैं कि सीएम भगवंत मान मीटिंग में साफ कर दें कि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद पानी नहीं है. 

वहीं हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने मीटिंग से पहले कहा कि आज सिर्फ नहर निर्माण कार्य पर बात की जाएगी और पानी के संबंध में बात बाद में करेंगे. इस मुद्दे को लेकर हरियाणा के सीएम ने AAP के सुप्रीमो और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी इस मुद्दे पर बात की थी लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला. 

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