trendingNow/india/delhi-ncr-haryana/delhiHaryana01670791
Home >>Delhi-NCR-Haryana

सुनो सरकार! दो स्कूल 15 कमरे, 16 सौ से ज्यादा छात्र, क्या ऐसे पढ़ेंगी बेटियां?

हरियाणा के इस गांव में 16 सौ छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल में सिर्फ 15 कमरे, ऐसे कैसे पढ़ेंगी बेटियां, भयंकर गर्मी के मौसम में खुले में नीचे जमीन पर बैठने को मजबूर हे छात्राएं.

Advertisement
सुनो सरकार! दो स्कूल 15 कमरे, 16 सौ से ज्यादा छात्र, क्या ऐसे पढ़ेंगी बेटियां?
Stop
Nikita Chauhan|Updated: Apr 27, 2023, 05:20 PM IST

Haryana Government: सुनो सरकार! कार्यक्रम के तहत आज हम नूंह के एक ऐसे स्कूल में पहुंचे जहां पर स्कूल की बिल्डिंग तो एक है, लेकिन इस बिल्डिंग में दो अलग-अलग स्कूल चल रहे हैं... जी हां हम आज आपको दिखाएंगे की एक बिल्डिंग में 2 स्कूल कैसे चल रहे हैं और बताएंगे कि दोनों स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की कितनी संख्या है और कितने कमरे हैं. किस प्रकार से यहां पर छात्र छात्राएं अपनी पढ़ाई कर रहे हैं और कितनी दिक्कतें इन को हो रही है.

आज हम नूंह के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में लेकर चलते हैं. इस विद्यालय में दो स्कूल चल रहे हैं.  पहला स्कूल राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है. वही दूसरा स्कूल राजकीय मॉडल संस्कृति प्रथमिक विद्यालय है. पहले हम बात करते हैं राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कि इस विद्यालय में 1150 से अधिक छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. वही दूसरे स्कूल राजकीय मॉडल संस्कृत प्राथमिक विद्यालय की हम बात करें तो इस विद्यालय में 450 से अधिक छात्र अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः उफ्फ ये अनदेखी! घुप्प अंधेरे और कचरे के बीच कैसे पढ़ रहे बच्चे, जानें इस स्कूल की कहानी

15 कमरों में 16 सौ छात्र पढ़ने को मजबूर

अब हम स्कूल के कमरों की बात करते हैं तो कमरों की संख्या पूरे स्कूल में 15 है. 15 कमरों के अंदर और बाहर बैठकर 16 सौ से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. गर्मियां हो या सर्दियां या फिर हो बरसात इसी तरह यह छात्र-छात्राएं स्कूल परिसर में बैठकर अपनी पढ़ाई करते हैं और हर रोज आने वाली परेशानियों को भी झेलते हैं. इसके अलावा स्कूल में छात्राओं के लिए बने टॉयलेट भी बदहाली के आंसू बहा रहे हैं.

इसी के साथ एक गंभीर मुद्दा यह भी है कि यहां पर पढ़ने वाली छात्राओं को बाहर के बच्चों के कॉमेंट्स भी झेलने पड़ते हैं. क्योंकि बाहर से आने वाले कुछ शरारती बच्चे स्कूल की चारदीवारी पर चढ़कर छात्राओं को भद्दे-भद्दे कमेंट करते हैं. स्कूल के प्रिंसिपल से जब हमने बात की तो उन्होंने भी माना कि स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को काफी दिक्कत और परेशानी है, लेकिन कमरों की संख्या अधिक नहीं है न ही स्कूल में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है.

ये भी पढ़ेंः DTC बस स्टेंडः तेज धूप में बस का इंतजार करने को मजबूर, यात्री बोले- सरकार सुविधाएं उपलब्ध कराएं

हरियाणा में PM मोदी ने इस योजना का किया था शुभारंभ

आपको बता दें कि साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत से ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'' का नारा दिया था, जिसके बाद ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'' योजना का शुभारंभ किया गया था. इस योजना का मकसद था कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना और बेटियों को शिक्षित बनाना था. बेटी बचाने-बेटी पढ़ाने का नारा देने वाली भाजपा सरकार के नारे के अलावा समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए मेवात के लोगों ने अपनी बेटियों को शिक्षित करना शुरू कर दिया.

लेकिन, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय में छत न होने के कारण बच्चों को खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय में मात्र 8 कमरे हैं. चार कमरें स्कूल के एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के पास है. वहीं बाकी के चार कमरों में करीब 1150 से लड़किया पढ़ाई करती है. बाकी की छात्राएं या तो बरामदे में या फिर पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ाई करती हैं. इस विद्यालय में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक करीब विद्यालय 1150 लड़कियां शिक्षा ले रही है.

यह आंकड़ा इस बार और भी अधिक हो सकता है क्योंकि अभी और भी छात्राओं के आने की उम्मीद है. स्कूल में कुल 8 कमरे हैं. उन कमरों में प्रिंसिपल रूम, मिड डे मिल, साइंसलेब, कंप्यूटर रूम बनाया गया है. वहीं चार कमरों में लड़कियां पढ़ाई कर पाती है और बाकी के बचे बच्चें खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने में मजबूर है. कई बार अधिकारियों को स्कूल की समस्या को लेकर रिपोर्ट भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई भी सुनवाई नहीं हो पाई. वहीं छात्राओं का कहना है कि स्कूल में कमरे न होने से सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले पढ़ाई करनी पड़ती है.

(इनपुटः अनिल मोहनिया)

Read More
{}{}