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Shani pradosh vrat 2022: इस दिन रखा जाएगा शनि प्रदोष व्रत, शनि की कृपा पाने के लिए करें ये खास उपाय

Shani pradosh vrat 2022: कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी के दिन शनि प्रदोष व्रत का खास संयोग बन रहा है. इस बार शनि प्रदोष व्रत 5 नवंबर, 2022 को रखा जाएगा. तो चलिए जानते हैं कि षनि प्रदोश व्रत के लिए शुभ मुहूर्त और इस दिन क्या करना अच्छा रहेगा.

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Shani pradosh vrat 2022: इस दिन रखा जाएगा शनि प्रदोष व्रत, शनि की कृपा पाने के लिए करें ये खास उपाय
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Nikita Chauhan|Updated: Nov 03, 2022, 11:45 PM IST

Shani Pradosh vrat 2022: हिंदू ज्योतिषयों के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन शनिवार का दिन पड़ रहा है. ऐसा होने पर इस महीने का प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. मगर शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि देव की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी. शनि प्रदोष व्रत शनि देव की कृपा पाने के लिए शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन शनि देव की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना के साथ ही विशेष उपाय किए जाएं तो शनि देव प्रसन्न होते है. तो चलिए जानते हैं कि षनि प्रदोश व्रत के लिए शुभ मुहूर्त और इस दिन क्या करना अच्छा रहेगा.

शनि प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, शनि प्रदोश व्रत 5 नवंबर, 2022 के दिन रखा जाएगा. इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना काफी शुभ माना जाता है. इसी के साथ शनि का आशीर्वाद भी भक्तों को प्राप्त होता है. कहा जाता है कि शिव जो भी भक्त भगवान शिव की इस दिन विधि-विधान से पूजा करते हैं, उनके सारे रोग-शोक हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 नवंबर को शाम 5 बजकर 06 मिनट से शुरू हो रही है. इसी के साथ त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 6 नवंबर, रविवार शाम 4 बजकर 28 मिनट पर होगी. वहीं प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 41 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 17 मिनट तक है. इस समय शिव जी पूजा करना शुभ रहेगा.

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शनि प्रदोष व्रत के दिन क्या करें

इस दिन किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल या गंगाजल अर्पित करें. अगर मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो घर में पूजा स्थान पर शिव को फूल, अक्षत, धूप, दीप,  बेलपत्र, गंगाजल, तिल से शिवजी की पूजा करें. इसके बाद ओम् नमः शिवाय इस मंत्र का 108 बार जाप करें. शिव की आराधना के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसके साथ ही एक दीपक शनि मंदिर में शनि देव के सामने जलाएं.

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