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मौलानाओं को वेतन-पेंशन का विरोध, CM केजरीवाल के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ

संत केजरीवाल सरकार की हिन्दू विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे. संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि साधु-संतों का अपमान और मौलानाओं का सम्मान अब नहीं सहा जाएगा. 

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मौलानाओं को वेतन-पेंशन का विरोध, CM केजरीवाल के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ
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Dadan Vishwakarma |Updated: Jun 07, 2022, 10:10 AM IST

तरुण कुमार/नई दिल्ली: दिल्ली में साधु-संतों में केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है. हिंदू संगठनों ने दिल्ली सरकार द्वारा मौलानाओं को दी जाने वाली पेंशन और वेतन के खिलाफ प्रदर्शन का रुख किया है. इसी सिलसिले में दिल्ली के अरविंद के घर के बाहर सुबह 11 बजे साधु-संत हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. संत केजरीवाल सरकार की हिन्दू विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे. संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि साधु-संतों का अपमान और मौलानाओं का सम्मान अब नहीं सहा जाएगा. यह पूजा-पाठ महाकाल मानव सेवा की गुरु मां कंचन गिरी जी के अगुवाई में होगा. 

दिल्ली में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने मौलना को सैलरी और पेंशन का प्रस्ताव पारित किया था. जिसे सन 2019 में बढ़ाया गया. जनवरी 2019 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों के इमामों की सैलरी बढ़ाने का ऐलान किया था. दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने बोर्ड के एक कार्यक्रम में मस्जिदों के इमामों की सैलरी बढ़ाने का एलान किया था. इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे. मौलाना की सैलरी दस हजार से बढ़ाकर 18000 और मुअज्जिन की सैलरी 9000 से बढ़ाकर 16 हजार कर दी गई है. फरवरी से बढ़ी हुई सैलरी मिल रही है.

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केजरीवाल सरकार के इस फैसले का बीजेपी ने भी पुरजोर विरोध किया है. वहीं साधु-संत भी केजरीवाल सरकार द्वारा एक खास वर्ग को दी जा रही सुविधा का विरोध किया है. साधु-संतों ने मांग की थी कि जब मौलाना-मुअज्जिन को सरकार सुविधा दे सकती है तो फिर पूरे दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों को भी सरकार ऐसी सुविधा दे. हालांकि इस मांग पर केजरीवाल सरकार ने किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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