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राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और विधायक लेते हैं हिस्सा, लेकिन ये 14 सांसद कभी नहीं करते वोटिंग

राष्ट्रपति के चयन के लिए लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य वोटिंग नहीं करते हैं. इनकी कुल संख्या 14 है. किसी विधायक और सांसद के मत का मूल्य 1971 की जनगणना के अनुसार उस राज्य की कुल आबादी के आधार पर गिना जाता है.

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राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और विधायक लेते हैं हिस्सा, लेकिन ये 14 सांसद कभी नहीं करते वोटिंग
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Zee Media Bureau|Updated: Jul 18, 2022, 12:25 PM IST

नई दिल्ली: देश के 15 वें राष्ट्रपति के चयन के लिए वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है. 21 जुलाई को नए राष्ट्रपति की घोषणा की जाएगी. इस चुनाव में विधायक और लोकसभा-राज्यसभा के सदस्य वोट डालते हैं, लेकिन इसमें 14 ऐसे सांसद होते हैं, जिन्हें इस चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं होता. आज के इस आर्टिकल में हम राष्ट्रपति चुनाव के सारे जोड़ -घटाने के बारे में विस्तार से बताएंगे. 

लोकसभा और राज्यसभा में ये सदस्य नहीं डाल सकते वोट
देश में राज्यसभा में सदस्यों की कुल संख्या 245 होती है, जिसमें  12 मनोनीत सदस्य होते हैं. वहीं लोकसभा में भी 02 मनोनीत एंग्लो इंडियन सदस्य होते हैं. ये किसी चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेते इन्हें राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किये जाते है. इसीलिए इन्हें मनोनीत सदस्य कहते हैं और ये राष्ट्रपति के चयन के लिए वोटिंग नहीं कर सकते. 

राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-54 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है. इसके लिए इलेक्टोरल कॉलेज का गठन किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के चुने हुए सदस्यों और राज्यों के विधानसभा में चुने गए सदस्य वोटिंग करते हैं. इसमें किसी मशीन से वोटिंग नहीं की जाती बल्कि सिंगल ट्रांसफरेबल वोट का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें वोटर एक ही वोट में अपनी प्रायॉरिटी तय कर देता है. यानी वह बैलट पेपर पर बता देता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी कौन है और तीसरी कौन है. 

कम हुआ सांसदों के मत का मूल्य 
अभी तक संसद के एक सदस्य के मत का मूल्य 708 था, जो घटाकर 700 कर दिया गया है. राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी सांसद का मत मूल्य राज्य विधानसभाओं और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर समेत केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होता है.  जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं होने की वजह से इस बार सांसदों के मत का मूल्य कम हुआ है. 

1971 की जनगणना के आधार पर तय होता है सांसद का मूल्य
किसी विधायक के मत मूल्य 1971 की जनगणना के अनुसार उस राज्य की कुल आबादी के आधार पर गिना जाता है. इस आधार पर उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है, जिसके एक विधायक का मत मूल्य 208 है. वहीं सिक्किम के एक विधायक के वोट का मूल्य महज 7 है. 

एक विधायक के वोट की कीमत
1971 में विधायक के राज्य की आबादी/राज्य के विधायकों की संख्या x 1000 = एक विधायक के वोट की कीमत 

एक सांसद के वोट की कीमत 
राज्य के विधायकों के वोटों का मूल्य/सांसदों की संख्या = एक सांसद के वोट की कीमत 

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