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OYO Founder Ritesh Agarwal: सिर्फ 30 रुपये से 10 साल में खड़ी की 8000 करोड़ की कंपनी, सड़कों पर बेचा करते थे सिम कार्ड

गुरुग्राम में OYO रूम के फाउंडर रितेश के पिता रमेश की गुरुग्राम में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सामने आया है. पुलिस को जानकारी मिली थी कि DLF की 20वीं मंजिल से एक व्यक्ति के गिरने से मौत हो गई है.

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OYO Founder Ritesh Agarwal: सिर्फ 30 रुपये से 10 साल में खड़ी की 8000 करोड़ की कंपनी, सड़कों पर बेचा करते थे सिम कार्ड
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Nikita Chauhan|Updated: Mar 10, 2023, 08:41 PM IST

OYO Founder Ritesh Agarwal: गुरुग्राम में OYO रूम के फाउंडर रितेश के पिता रमेश की गुरुग्राम में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सामने आया है. पुलिस को जानकारी मिली थी कि DLF की 20वीं मंजिल से एक व्यक्ति के गिरने से मौत हो गई है. पुलिस ने बताया कि उन्हें दोपहर करीब 1 बजे DLF के सिक्युरिटी गार्ड ने जानकारी दी थी कि गुरुग्राम के सेक्टर-54 में The Crest सोसाइटी की 20वीं मंजिल से एक व्यक्ति गिर गया है.

पुलिस ने आगे बताया कि उन्हें इलाज के लिए पारस अस्पताल लाया गया है और SHO की टीम घटना स्थल का दौरा किया. घटना स्थल के निरीक्षण के दौरान, गिरने वाले व्यक्ति की पहचान रमेश प्रसाद अग्रवाल के रूप में हुई. अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. शव को पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंप दिया गया है. रमेश अग्रवाल कुछ दिन पहले ही बेटे की गीतांशा सूद के साथ शादी में देखा गया था. इस जोड़े ने 7 मार्च को दिल्ली के 5 सितारा ताज पैलेस होटल में एक हाई-प्रोफाइल शादी का रिसेप्शन दिया था.

हाल ही में हुई थी बेटे की शादी

खबरों की मानें तो तीन दिन पहले ही उनके बेटे रितेश अग्रवाल की शादी हुई थी. इस शादी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई बड़ी जानी-मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया था. रितेश की शादी के लिए दिल्ली के 5 सितारा ताज पैलेस होटल में रिसेप्शन रखा गया था. OYO फाउंडर ने पिता की मौत के बाद अपने बयान में कहा कि "मैं और मेरा परिवार बड़े दुख के साथ बताना चाहता है कि मेरे जीवन के मार्गदर्शक रहे मेरे पिता का आज निधन हो गया है."

कैसे और कब हुई OYO ROOMs की शुरूआत

साल 2013 में OYO रुम की शुरुआत हुई थी. इतना ही नहीं रितेश अग्रवाल सबसे कम उम्र में अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हैं. साल 2012 में आंखों में सपने लेकर ओडिशा से दिल्ली आए रितेश अग्रवाल उन दिनों सड़कों पर घूम-घूम कर सिम कार्ड बेचने का काम करते थे. जब रितेश दिल्ली आए तो उनकी जेब में सिर्फ 30 रुपये ही थे. मगर बिजनेस का भूत सिर पर पहले से ही सवार था, इसलिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद भी उनके ये सपना नहीं टूटा और आखिरकार रितेश अग्रवाल का ये सपना पूरा हो गया.

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दिल्ली की सड़कों पर सिम कार्ड बेचने वाला लड़का आज दुनिया के सबसे यंग बिलेनियर की लिस्ट में शामिल है. दुनिया के 80 देशों के 800 शहरों में रितेश का करोबार फैला हुआ है. साल 2013 में रितेश को थिएल फेलोशिप के लिए चुना गया, जिससे उन्हें करीब 75 लाख रुपये मिलने. उन्होंने इन्हीं पैसों से OYO रूम्स की शुरूआत की. इससे पहले उन्होंने अपनी कंपनी का नाम OREVAL Stays रखा था. इस प्लेटफॉर्म की मदद से वो किफायती दरों पर, आसानी से होटल बुकिंग की सुविधा उपलब्ध करवाते थे.

क्यों बदल दिया कंपनी का नाम

रितेश अग्रवाल ने जो सपना देखा वो तो पूरा होगा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी. इसलिए उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर ओयो रूम्स (OYO Rooms) रख दिया. इसके बाद सफलता उनके पीछे ऐसे दौड़ी की 8 साल में 75 हजार करोड़ की कंपनी बन गई. आज के दौर में ये कंपनी किफायती दरों पर स्टैंडर्ड रूम्स और कपल फ्रेंडली ऑप्शन अपने कस्टमर्स को देती है और इसी वजह से ये लोगों की पहली पसंद बनता चला गया.

छोटा शहर, मगर सपने बड़े

बता दें कि रितेश ओडिशा के रायगढ़ जिले के भीषमकटक में जन्में थे. स्कूल के वक्त से ही वो एंटरप्रेन्योर बनना चाहते थे. मगर घर वालों के कपने पर IIT एंट्रेंस की तैयारी के लिए कोटा चले गए, लेकिन रितेश का मन IIT में नहीं लगा और उन्होंने ट्रैवल करना शुरू कर दिया. इस दौरान वो होटल वालों विनती करते कि मुझे अपने होटल में रुकने दें. क्योंकि मैं होटल इंडस्ट्री की एक बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व करना चाहता हूं. इस दौरान उन्होंने करीब 100 जगहों के 200 होटल्स में स्टे किया.

ऐसे जली दिमाग की बत्ती

इस दौरान उन्होंने इंडस्ट्री की एक बड़ी प्रॉब्लम्स को पकड़ लिया और रितेश के दिमाग में एक आअडिया आया और उन्होंने 2012 में ओरावेल स्टेज नाम का स्टार्टअप शुरू किया. इसमें वो सस्ते होटल वालों से जाकर मिलते और उनके कमरे का लुक एंड फील ठीक करते. उसके बाद उसके लिए कस्टमर खोजते थे. लेकिन, काम नहीं चसला और नुकसान उठाना पड़ा. 2020 में रितेश अग्रवाल की नेटवर्थ 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा थी और यहां तक पहुंचने के लिए रितेश ने  अपनी कॉलेज की पढ़ाई कभी पूरी नहीं की.

 

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