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अब नसीब नहीं होंगे मुरथल के पराठे, NGT ने बताया क्या है कारण?

सोनीपत जिले में जीटी रोड मुरथल पर रेस्तरां सहित विभिन्न प्रतिष्ठानों द्वारा अवैध रूप से कचरा फेंकने और जलाने समेत अशोधित पानी को बहाने के मामले में हरियाणा के निवासी अभय दहिया और अन्य ने एनजीटी में  याचिका दायर की थी.

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अब नसीब नहीं होंगे मुरथल के पराठे, NGT ने बताया क्या है कारण?
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Abhinav Tomer|Updated: Aug 22, 2022, 05:06 PM IST

नई दिल्ली: पराठों के लिए मशहूर मुरथल के ढाबों और रेस्तरां पर पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने हरियाणा के मुख्य सचिव को मुरथल के रेस्तरां और सड़क किनारे चल रहे ढाबों को बंद करने को कहा है. साथ ही एनजीटी ने मुख्य सचिव को पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय सुनिश्चित करने के लिए एक बैठक आयोजित करने भी निर्देश दिया है.

इस मामले में एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस ए.के. गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है. बेंच ने कहा कि पर्यावरण को लगातार नुकसान हो रहा है. इस दौरान बेंच ने कहा कि सड़क किनारे के सभी भोजनालयों, ढाबों, रेस्तरां को उनके तरल और ठोस कचरे के प्रबंधन और सामान्य साफ-सफाई की स्थिति बनाए रखने की जरूरत है.

वहीं बेंच ने कहा कि हम हरियाणा के मुख्य सचिव को निर्देश देते हैं कि इस मामले पर गौर करें. पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए तुरंत और प्रभावी उपाय सुनिश्चित करके स्थिति का समाधान करें. मुख्य सचिव एक महीने के भीतर बैठक कर मामले में समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करें.

बेंच ने कहा कि उचित अवसर दिए जाने के बावजूद लंबे समय तक बड़े पैमाने पर उल्लंघन को देखते हुए नियमों का पालन होने तक इकाइयों को बंद करने के लिए प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद है. कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रदूषण के संबंध में पिछले उल्लंघनों के लिए मुआवजा वसूल किया जाना चाहिए।

एनजीटी ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board) उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन कर सकता है. इसके अलावा बेंच ने कहा कि बोर्ड व्यक्तिगत इकाइयों या संयुक्त रूप से नइकाइयों के लिए सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तरीकों का सुझाव दे सकता है और उस आधार पर संचालन के लिए आवश्यक सहमति (CTO) प्रदान कर सकता है

इससे पहले भी एनजीटी ने अधिकारियों को भोजनालयों से उत्पन्न कचरे के प्रबंधन के लिए ठोस अपशिष्ट उपचार संयंत्र की स्थापना में तेजी लाने का निर्देश दिया और पूछा था कि क्षेत्र में ढाबों द्वारा विकेन्द्रीकृत शोधन संयंत्र (Decentralised Treatment Plant) क्यों नहीं स्थापित किया गया है.

एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा था कि एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना के 31 दिसंबर, 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है. बेंच ने कहा था कि रिपोर्ट बदहाल स्थिति को प्रदर्शित करती है. बेंच ने कहा था कि 10 किलोलीटर प्रति दिन प्रदूषक उत्सर्जन करने वाली इकाइयों को अपशिष्ट के दूसरी जगह निपटारा से बचने के लिए मॉड्यूलर सीवेज शोधन संयंत्र (sewage treatment plant) लगाना चाहिए.

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