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Mathura Holi 2023: Hema Malini होली के रंगों में दिखी सराबोर, कृष्ण जन्मभूमि में उमड़ी भीड़

कान्हा के धाम बरसाना और नन्द गांव के बाद होली का धमाल भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में मचा हुआ है.

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Mathura Holi 2023: Hema Malini होली के रंगों में दिखी सराबोर, कृष्ण जन्मभूमि में उमड़ी भीड़
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Zee Media Bureau|Updated: Mar 03, 2023, 09:47 PM IST

Holi 2023: कान्हा के धाम बरसाना और नन्द गांव के बाद होली का धमाल भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में मचा हुआ है. जहां रंग, गुलाल, फूल और नाच गानों के साथ हुरियारों ने भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि पर खूब धूम मचाई, जिसमें पूरा जन्मभूमि परिसर राधाकृष्ण की प्रेम भरी होली के रंग में रंग उठा और 'उड़त गुलाल लाल भये बद्रा' की गूंज गूंजने लगा.

वहीं आपको बता दें कि मथुरा की सांसद हेमा मालिनी भी होली के रंगों में सराबोर दिखी. हेमा मालिनी ने अधिकारियों के साथ होली का आनंद लिया. इस दौरान हेमा मालिनी रंग गुलाल और फूल ड़ालती नजर आई और आम जनता को फल और मिठाई भी बांटी. 

प्रकृति के इस अलौकिक वसंतोत्सव में होली का विशेष महत्व है. इस बार यह होली का महोत्सव कृष्ण के जन्म स्थान पर पंच दिवसीय रूप में मनाया जा रहा है. यह लोकप्रिय त्योहार जीवन के जागरण का पर्व है और मन की चेतनाओं को शक्ति देने का प्रतीक है. होली पर साधारण इंसान तो क्या अध्यात्म चिंतन में लीन भक्त भी अपने अराध्य देव प्रभु के साथ विभिन्न खेल खेला करता है और ऐसा ही हुआ भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर जब बरसाना और नन्द गांव के बाद यहाँ आज होली खेली गई है. 

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जन्मभूमि स्थित केशव वाटिका मंच पर राधा-कृष्ण के स्वरुप के आते ही होली के हुरियारे और हुरियारिनों ने होली के गीतों पर जमकर ठुमके लगाएं.फिर वह चाहे ब्रज का प्रसिद मयूर नृत्य हो, या गागर, या जेयर, या फिर हो चरकुला नृत्य, जिसे देख यहां मौजूद उपस्थित श्रद्धालु आस्था में लीन हो गए और प्रिय प्रियतम के रंग मै रंग गए. 

लीला मंच पर जैसे ही राधा-कृष्ण के स्वरुप और उपस्थित लोगों ने फूलों की होली खेलना शुरू किया तो वहां मौजूद हुरियारिन अपने आपको न रोक सकी और हुरियारों पर बरसाने लगीं रंगों के बीच लाठियां. हुरियारों ने हुरियारिनों से बचाव के लिए लाठियों का ही प्रयोग किया. जन्मस्थान पर खेली गई इस अनोखी होली में भाग लेकर हर कोई श्रद्धालु अपने को धन्य मान रहा था क्योंकि एक तो यह भूमि स्वयं भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और इसके बाद यहां नाच-गाना, फूल, रंग, गुलाल, और लाठियों का मिश्रण जो की पूरे वातावरण को रंग मय कर रहा था.

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