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Delhi liquor policy: मनीष सिसोदिया की बढ़ीं मुश्किलें, CBI के बाद ED की चार्जशीट में भी नाम

Manish Sisodia: CBI के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी शराब घोटाला मामले में अपनी चार्जशीट दायर की है, जिसमें पहली बार सिसोदिया का नाम है. 

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Delhi liquor policy: मनीष सिसोदिया की बढ़ीं मुश्किलें, CBI के बाद ED की चार्जशीट में भी नाम
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Zee Media Bureau|Updated: May 05, 2023, 10:44 AM IST

Manish Sisodia: दिल्ली के कथित शराब घोटाला (Delhi excise policy) मामले में जेल में बंद पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया  (Manish Sisodia) की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. CBI के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी गुरुवार को शराब घोटाला मामले में अपनी चार्जशीट दायर की है, जिसमें पहली बार सिसोदिया का नाम है. 

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी
शराब घोटाला मामले में CBI ने 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था, वहीं मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के बाद ED ने 9 मार्च को सिसोदिया को तिहाड़ जेल से ही गिरफ्तार किया था. फिलहाल सिसोदिया CBI और ED दोनों मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं.

ED की चार्जशीट में पहली बार नाम
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने चौथी सप्लीमेंट्री चार्जशीट और पांचवी चार्जशीट फाइल की है.लगभग 270 पेज की इस चार्जशीट में ED ने सिसोदिया को शराब घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया है. संघीय एजेंसी ने अब तर इस मामले में मनीष सिसोदिया सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. 

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CBI की चार्जशीट में भी नाम
ED से पहले CBI द्वारा दाखिल की गई सप्लीमेंट्री चार्जशीट में भी मनीष सिसोदिया का नाम था. CBI की चार्जशीट में सिसोदिया के साथ शराब कारोबारी अमनदीप सिंह ढल, अर्जुन पांडे और हैदराबाद के CA बुच्ची बाबू गोरंटला का नाम भी शामिल था. 

सिसोदिया की जमानत का विरोध
हाल ही में मनीष सिसोदिया की पत्नी की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, जिसके बाद सिसोदिया ने अपनी बीमार पत्नी की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी, जिसका CBI द्वारा विरोध किया गया. CBI ने इस बात का दावा किया कि सिसोदिया ने इस तथ्य को छुपाया कि उनकी पत्नी को पहले ही अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है. उच्च न्यायालय ने सिसोदिया की नियमित जमानत याचिका पर सीबीआई की दलीलें भी सुनीं और मामले को 10 मई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

यह है पूरा मामला
CBI और ED की तरफ से आबकारी नीति के संसोधन में अनियमितता का आरोप लगाया गया है, इसके साथ ही लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ देने और लाइसेंस शुल्क माफी का भी आरोप है. इस नीति से सरकारी खजाने को लगभग 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 22 जुलाई 2022 को LG ने इसमें CBI जांच की सिफारिश की थी. 

 

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