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Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023: 500 की पिस्टल, 10 दिन की ट्रेनिंग, गोडसे ने ऐसे दिया बापू की मौत को अंजाम

Shaheed Diwas Mahatma Gandhi: हमारा देश 30 जनवरी को शहीद दिवस को तौर पर मनाता है. इस दिन नाथूराम गोडसे ने देश के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी के सीने में 3 गोलियां दाग कर उनकी हत्या कर दी थी.

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Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023: 500 की पिस्टल, 10 दिन की ट्रेनिंग, गोडसे ने ऐसे दिया बापू की मौत को अंजाम
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Abhinav Tomer|Updated: Jan 30, 2023, 01:13 AM IST

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023: 30 जनवरी 1948 की शाम को जो सूरज डूबा वो दोबारा कभी उगा नहीं. इस दिन बिड़ला हाउस में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी. इसके बाद इतिहास में यह दिन काले अक्षरों से दर्ज हो गया. नाथूराम गोडसे की गोली ने महात्मा गांधी की जान ले ली थी,लेकिन उनके विचार आज भी लोगों में जिंदा हैं.

मोहनदास करमचंद गांधी को उनके व्यक्तित्व, योगदान के लिए महात्मा गांधी, बापू जैसे नामों से संबोधित किया जाता है. बापू सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे. भारत ही नहीं विदेशों तक लोग किसी आंदोलन या प्रदर्शन के लिए अंहिसा के मार्ग को अपनाते हैं. उन्होंने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सत्य और अहिंसा को अपनाया और जीत हासिल की. अहिंसा परमो धर्म का उनका संदेश पुरी दुनिया में मशहूर है. भारत को आजादी दिलाने के कुछ समय बाद ही महात्मा गांधी का निधन हो गया.

सुभाष चंद्र बोस ने कहा राष्ट्रपिता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के बीच वैचारिक मतभेद थे. इसका जिक्र इतिहास के कुछ किस्सों में भी होता है. वहीं नेताजी हमेशा ही महात्मा गांधी का सम्मान करते थे. सबसे पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था. 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन से दिए गए अपने भाषण में ता जी ने कहा था कि हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैं आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना करता हूं.

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500 रुपये में खरीदी थी पिस्टल
कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महात्मा गांधी की हत्या करने के लिए नाथूराम गोडसे ने जिस बंदूक का उपयोग किया था. वह ग्वालियर से ही खरीदी गई थी. गोडसे ने 20 जनवरी 1948 को भी महात्मा गांधी की जान लेने की साजिश रची थी, लेकिन उसको कामयाबी नहीं मिल पाई थी. इसके बाद उसने तय किया गया था कि इस बार वो खुद ही इस साजिश को अंजाम देगा. इसके बाद वारदात को अंजाम देने के लिए वो ग्वालियर पहुंचा और वहां से 500 रुपये की पिस्टल खरीदी. वहीं 10 दिनों तक पिस्टल चलाने की प्रैक्टिस की. इसके बाद महात्मा गांधी दिल्ली के बिरला भवन में प्रार्थना के लिए जा रहे थे. तभी नाथूराम नाम के एक शख्स ने उनके छाती पर तीन गोलियां चलाईं थीं. 

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