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JCB On Duty: इस बार 'उजाड़ने' में नहीं, लगी हैं रोज 1 लाख लोगों का भोजन बनाने में

JCB Use in Making Food: सनातन धर्म महा समागम में देशभर के चारों मठों के पीठाधीश्वर शंकराचार्य के अलावा 3 दर्जन से अधिक जगतगुरु संत महापुरुषों के प्रवचन हो रहे हैं. संतों को सुनने के लिए आसपास के राज्यों समेत हर रोज एक लाख से ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं. 

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JCB On Duty: इस बार 'उजाड़ने' में नहीं, लगी हैं रोज 1 लाख लोगों का भोजन बनाने में
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Vipul Chaturvedi|Updated: Feb 02, 2023, 01:41 PM IST

नई दिल्ली: जेसीबी मशीन का नाम जेहन में आते ही हमें देश के कई राज्यों में अपराध से अर्जित संपत्तियों को जमींदोज करने वाले दृश्य दिखने लगते हैं. अवैध तरीके से बनाई गई संपत्तियों को उजाड़ने का असल मकसद अपराधियों का मनोबल तोड़ना होता है, लेकिन क्या अपने कभी जेसीबी, मिक्सर मशीनों, फावड़े और ट्रैक्टरों का इस्तेमाल भूखे को खाना खिलाने के लिए करते देखा है. जी हां, अपने सही सुना. भिंड (मध्य प्रदेश) में खनेता गांव स्थित विजय राम धाम रघुनाथ मंदिर पर चल रहे सनातन धर्म महा समागम में हर रोज 1 लाख से ज्यादा लोगों का प्रसाद बनाने के लिए जेसीबी मशीनों को इस्तेमाल किया जा रहा है.

रघुनाथ मंदिर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सनातन धर्म महा समागम का सात दिवसीय आयोजन 30 जनवरी से 6 फरवरी तक किया जा रहा है. कार्यक्रम में देशभर के चारों मठों के पीठाधीश्वर शंकराचार्य के अलावा 3 दर्जन से अधिक जगतगुरु संत महापुरुषों के प्रवचन हो रहे हैं. समागम में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आनंद धाम वृंदावन के स्वामी श्री श्रवणानंद सरस्वती महाराज सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक भगवत कथा सुनाते हैं.

संतों को सुनने के लिए आसपास के राज्यों समेत हर रोज एक लाख से ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं. मंदिर के महंत राम भूषण दास जी ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या से श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था करना आसान नहीं है. इसलिए प्रसाद बनाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, यहां सब्जी बनाने के लिए बड़े-बड़े कड़ाहे मंगाए गए हैं.

 

प्रसाद भरने के लिए लगीं 50 से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉली
राम भूषण दास जी ने बताया कि कड़ाहों में सब्जी और खीर निकालने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया जा रहा है. प्रतिदिन सात हजार लीटर दूध से भरा हुआ टैंकर पहुंच रहा है, तो वही मालपुआ का घोल बनाने के लिए मिक्सर मशीन का उपयोग किया जा रहा है. पूड़ी बनाने के लिए आटा गूंदने की एक बड़ी मशीन मंगवाई गई है. बनने के बाद प्रसाद को भरने के लिए 50 से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉली लगाई गई है. रसोई घर से ये प्रसाद पंगत तक पहुंचाया जा रहा है. कार्यक्रम का आयोजन 100 बीघा से अधिक जमीन पर किया जा रहा है.

500 से ज्यादा हलवाई बना रहे हैं प्रसाद 
खाना बनाने के लिए 500 से अधिक हलवाई लगातार कार्य कर रहे हैं, 40 से अधिक भट्टियों पर पूरी, मालपुआ, खीर, बूंदी और सब्जी बनाई जा रही है. सब्जी बनाने के लिए प्रतिदिन 70 से 80 क्विंटल आलू गलाए जाते हैं. मालपुआ और पूड़ी बनाने के लिए के लिए 70 से 80 क्विंटल आटा लगता है तो वहीं खीर के लिए 4000 लीटर से अधिक दूध, 6 क्विंटल चावल और 50 क्विंटल से अधिक ड्राई फ्रूट का उपयोग किया जाता है. खीर और बूंदी के लिए प्रतिदिन 50 क्विंटल शक्कर का इस्तेमाल किया जा रहा है. सात दिनों में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.

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