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BJP के किसान पुत्र, जाटों को आरक्षण दिलाने और ममता से टकराने वाले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कहानी

बीजेपी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ नए उपराष्ट्रपति बन गए हैं. उन्होंने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली है. महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. 

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (File Photo)
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Dadan Vishwakarma |Updated: Aug 11, 2022, 12:49 PM IST

दिल्ली: एनडीए ने जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था. हाल ही में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने शानदार जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में उन्होंने 528 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं विपक्ष में की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे. बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 725 वोट डाले गए थे.  

जगदीप धनकड़ मूलत: राजस्थान के रहने वाले हैं. राजस्थान के झुंझुनूं के रहने वाले जगदीप धनखड़ सांसद भी रह चुके है. 18 मई 1951 में उनका जन्म राजस्थान के झुंझुनूं में हुआ. मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं. वह पश्चिम बंगाल के 28वें राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं.

अच्छे वकील भी रह चुके हैं धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ झुंझुनू से बीजेपी से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. धनखड़ 1989-1991 तक केंद्रीय मंत्री रहे. आज ही उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. धनकड़ ने वकालत की पढ़ाई की है. राजस्थान और सुप्रीम कोर्ट के वकील रह चुके हैं. 

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पढ़ाई-लिखाई कहां से की?
जगदीप धनखड़ की शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक स्कूल में हुई. यहां पांचवीं तक पढ़ने के बाद गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में दाखिला लिया. 9वीं में चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल पहुंच गए. 12वीं के बाद भौतिकी में स्नातक किया. इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की. राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा राजस्थान में जाट आरक्षण की लड़ाई में भी उनका अहम रोल रहा था. जगदीप धनकड़ को पश्चिम बंगाल में राज्यपाल की कुर्सी उस वक्त मिली थी जब पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार यानी टीएमसी और बीजेपी के बीच तनाव चरम पर था. 

कैसा रहा राजनीतिक जीवन?
जगदीप धनखड़ केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. राजस्थान की झुंझुनूं लोकसभा सीट से साल 1989 से 1991 तक जनता दल के सांसद थे. जनता दल से बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कांग्रेस के टिकट पर अजमेर से चुनाव भी लड़ा, लेकिन करारी शिकस्त मिली. हालांकि 1993 में अजमेर जिले की ही किशनगढ़ लोकसभा सीट से विधायक बनने में कामयाब रहे थे. 1990 में उन्होंने संसदीय राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया. साल 2003 में जगदीप धनकड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. 30 जुलाई 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया.

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जब ममता से सीधे टकरा गए थे
पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद राज्य में जमकर राजनीतिक हिंसा हुई थी. बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या के लिए धनखड़ ने सीधे तौर पर ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. इसके अलावा 21 जून 2021 को उत्तर बंगाल दौरे के दौरान कहा था कि लोग मारे जा रहे हैं, इन परिस्थितियों में मैं चुप रहने वाला गवर्नर नहीं हूं. इसके अलावा राज्य विश्विविध्यालय के कुलपति को लेकर शुरू हुए विवाद में भी कई बार उनके और सीएम ममता के टकराव की स्थिति मीडिया के सामने आई थी. इसी वजह से 

TMC ने की थी राष्ट्रपति से हटाने की शिकायत
टकराव की वजह से टीएमसी ने राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें राज्यपाल पद से हटाने की सिफारिश भी की थी. टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल ने संविधान की धारा 156 की उपधारा 1 का हवाला देते हुए कहा था कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने संविधान का पालन नहीं किया, सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं माना. इसलिए राज्यपाल को हटाने की अपील की है. हालांकि उन्हें नहीं हटाया गया था.

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जाटों को आरक्षण दिलाने वाले नेता
जगदीप धनखड़ एक मझे हुए वकील के तौर पर जाने जाते है. उनका नाम सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों में आता है. धनखड़ राजस्थान की जाट विरादरी से ताल्लुक रखते हैं. राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही है. इस समुदाय में धनखड़ की खासी साख है. शायद इसीलिए भाजपा उनके जरिए जाटों के बीच अपनी पैठ बनाना चाहती है.

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