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Air Pollution: प्रदूषण में PM 2.5 और PM 10 में से कौन सा है ज्यादा खतरनाक, कैसे करें इससे बचाव

दिवाली के समय दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्र प्रदूषण से प्रभावित होने लगते हैं. यहां लोग भी प्रदूषण से काफी ज्यादा परेशान रहते हैं. लेकिन आज हमम जानेंगे आखिर क्या है प्रदूषण में पाया जानें वाला पीएम 2.5 और पीएम 10.  

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Air Pollution: प्रदूषण में PM 2.5 और PM 10 में से कौन सा है ज्यादा खतरनाक, कैसे करें इससे बचाव
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Zee News Desk|Updated: Nov 14, 2023, 07:27 PM IST

What is PM 2.5 and PM 10: हर साल जब दिवाली नजदीक होती है उस समय दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्र प्रदूषण से प्रभावित होने लगते हैं. जैसे ही दिवाली खत्म होता है वैसे ही दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में पॉल्यूशन एक बड़ी समस्या बन जाती है. दिवाली में छुटने वाले पटाके, पराली जलाने और गाड़ीयों से निकलने वाले धुंओं के कारण आसमान में धुएं की एक सफेद चादर बन जाती है. यह लोगों को सांस लेने में तकलीफ पहुंचाना शुरू कर देती है. वायु प्रदूषण की बात जब होती है तब एक टॉपिक सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है वो है  पीएम 2.5 और पीएम 10. क्या है ये दोनो आइए जानते हैं. 

दिवाली के बाद वायू प्रदूषण एक अलग ही रुप ले लेता है. पीएम 2.5 और पीएम 10 वायु गुणवत्ता को मापने का एक पैमाना है. पाएम को मतलब होता है पार्टिकुलेट मैटर यह हवा के अंदर सूक्ष्म कणों को मापने का काम करते हैं. पीएम 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों को नापते हैं. पीएम का आंकड़ा जितना कम होगा हवा में मौजूद कण उतने ही ज्यादा छोटे होंगे.

दोनो में से कौन सा हैं ज्यादा खतरनाक 
आपको बता दें कि हवा में PM2.5 की मात्रा 60 और PM10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा सांस लेने के लायक होती है.  गैसोलीन, तेल, डीजल ईंधन या लकड़ी का दहन करने से ही पीएम 2.5 का उत्पादन ज्यादा होता है. ये अपने छोटे आकार की वजह से  पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में गहराई से खींचा जा सकता है. ये पीएम 10 की तुलना में अधिक हानिकारक हो सकता है. प्रदूषण के ये कण सांस लेने में दीक्कत करते हैं. साथ ही अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), श्वसन संक्रमण और हृदय रोगों जैसी बीमारियों को बढ़ाते हैं. इसके अलावा स्मॉग आपके फेफड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाता है.  पीएम 2.5 के व्यास छोटे जरूर होते हैं लेकिन ये बड़े सतह में फैल सकते हैं. 

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प्रदूषण का किन अंगों पर पड़ता है असर
वायू प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव हमारे फेफड़ों पर होता है. लेकिन ज्यादा प्रदूषण के संपर्क में रहने से आपके शरीर के दूसरे अंग भी वायू प्रदूषण से प्रभावित हो सकते हैं. प्रदूषण से कई बार औसा भी होता है कि शरीर में चकत्ते, स्किन में झुर्रियां, एलर्जी जैसी समस्या होने लगती है. वायू प्रदूषण से आपको उम्र से पहले ही बुढ़ापा महसूस होने लगता है. ये प्रदूषित हवा से आंखों में जलन, खुजली, पानी आना जैसी समस्या भी होने लगती है. 

बचाव के लिए क्या करें
1- जब प्रदूषण अधिक हो तब अपने नाक और मुंह को किसी रूमाल से या मास्क से ढक कर निकलें.

2- धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें इससे कैंसर जैसी बीमारी को बढ़ावा मिलता है और इसका धुंआ वायू प्रदूषण को भी बढ़ता है. 

3- अगर आप अपने घर को वायू प्रदूषम से मुक्त रखना चाहते हैं, तो घर में वेंटिलेशन की सुविधा रखनी चाहिए.

4- अपने स्वस्थ को अच्छा बनाए रखने के लिए इम्यूनिटी को मजबूत रखना चाहिए, जिससे वायू प्रदूषण का कोई असर न हो. 

5- आपके घर के अंदर की हवा भी बाहरी हवा की तरह प्रदूषित होती है. इसके लिए आपको ऐसा प्यूरिफायर लेना चाहिए जो बासी हवा को ताजा कर सके.

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