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Delhi Government: लावारिस पशुओं से मिलेगा छुटकारा, रोजगार के मिलेंगे नए अवसर- शैली ओबरॉय

Delhi Government: दिल्लीवासियों को लावारिस जानवरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए ''AAP'' सरकार बेहद गंभीर है. मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने कहा कि गौशालाओं को लाभ के केंद्रों में बदलने से लावारिस जानवरों की समस्या का समाधान होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

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Delhi Government: लावारिस पशुओं से मिलेगा छुटकारा, रोजगार के मिलेंगे नए अवसर- शैली ओबरॉय
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Nikita Chauhan|Updated: Jun 01, 2023, 12:01 AM IST

Delhi Government: दिल्लीवासियों को लावारिस जानवरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए एमसीडी (MCD) की ''AAP'' सरकार बेहद गंभीर है. मेयर डॉ. शैली ओबरॉय के नेतृत्व में लावारिस जानवरों की समस्या के स्थाई समाधान की दिशा में काम किया जा रहा है. गौशालाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज सिविक सेंटर में उच्च स्तरीय बैठक हुई. मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने इस संबंध में कहा कि गौशालाओं को लाभ के केंद्रों में बदलने से लावारिस जानवरों की समस्या का समाधान होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने नेता सदन मुकेश गोयल, एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती और अतिरिक्त आयुक्त साक्षी मित्तल सहित अन्य अधिकारियों के साथ आज सिविक सेंटर में महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में ग्लोबल कंफीडरेशन ऑफ काउ बेस्ड इंडस्ट्रीज (gcci) के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया. बैठक का उद्देश्य लावारिस जानवरों के मुद्दे की समस्या को हल करना था. साथ ही गौशालाओं को लाभ के केंद्रों में बदलने के लिए योजना तैयार करना था. इसमें गाय के गोबर से विभिन्न बिक्री योग्य उत्पाद तैयार करने पर चर्चा हुई.

बता दें कि गाय के गोबर से बिजली, सीएनजी (CNG), कागज आदि तैयार करने वाले कार्यों की समीक्षा की गई. मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने कहा कि लावारिस जानवरों के खतरे का स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है. गाय के गोबर और मूत्र से कई उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं. इसमें सीएनजी से लेकर अन्य उत्पाद शामिल हैं. इससे गौशालाएं आर्थिक तौर पर निर्भर बन सकेंगी. उन्होंने कहा कि गौशालाओं को लाभदायक केंद्रों में बदलने से न केवल आवारा पशुओं की समस्या का समाधान होगा. बल्कि राजस्व सृजन और रोजगार के लिए नए अवसर भी पैदा होंगे.

एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती ने कहा कि नगर निगम ने इसी तरह के प्रस्ताव पर काम किया, लेकिन अमल नहीं हो सका. हालांकि जीसीसीआई द्वारा पेश की गई योजना काफी प्रभावी है. एमसीडी प्रस्ताव पर फिर से काम करेगी और गौशालाओं के लिए नई तकनीकों का लाभ उठाने के लिए नए तरीके तलाशेगी.

(इनपुटः बलराम पांडेय)

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