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Fatehabad News: बागवानी से दोहरा लाभ उठा रहे किसान, किन्नू से प्रति एकड़ कमा रहे डेढ़ लाख

बागवानी अपनाकर अपने जीवनस्तर को किसान उठा रहे हैं. गांव के बीघड़ के किसान ने परंपरागत कृषि को छोड़ बागवानी में किस्मत अजमाई. 5 एकड़ में किन्नू का बाग लगाया और डेढ़ लाख प्रति एकड़ से अधिक फसल ले रहा है. बाग में सीजनल सब्जियां और फल लगाकर दोहरा लाभ उठा रहा हैं.

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Fatehabad News: बागवानी से दोहरा लाभ उठा रहे किसान, किन्नू से प्रति एकड़ कमा रहे डेढ़ लाख
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Zee Media Bureau|Updated: Jan 20, 2024, 05:14 PM IST

Fatehabad News: बागवानी अपनाकर अपने जीवनस्तर को किसान उठा रहे हैं. गांव के बीघड़ के किसान ने परंपरागत कृषि को छोड़ बागवानी में किस्मत अजमाई. 5 एकड़ में किन्नू का बाग लगाया और डेढ़ लाख प्रति एकड़ से अधिक फसल ले रहा है. बाग में सीजनल सब्जियां और फल लगाकर दोहरा लाभ उठा रहा हैं. सरकार की योजनाओं और सहयोग से बाग के लिए वॉटर टैंक और लगाया ड्रिप इरीगेशन सिस्टम बनाया.

किसान अब गेंहू, धान और सरसों जैसी परंपरागत फसलों को छोड़ कर लाभ वाली फसलों की ओर आकर्षित होने लगे हैं. सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं को अपनाकर किसान न केवल अपने जीवन स्तर को ऊपर उठा रहे हैं, बल्कि और भी किसानों के लिए उदाहरण साबित हो रहे हैं. फतेहाबाद के गांव बीघड़ का किसान कृष्ण कुमार जिसने अपने पांच एकड़ जमीन पर किन्नू का बाग लगाया और अब वह प्रति एकड़ डेढ़ लाख रूपये से अधिक की फसल उठाता है. 

इतना ही नहीं इसी बाग में किन्नू की फसल के साथ-साथ सब्जियां एवं अन्य सीजनल फलों जैसे तरबूत और खरबूजे की फसल भी साथ लेकर दोहारा लाभ उठा रहा है. किसान कृष्ण ने बताया कि उसने करीब 15 साल पूर्व अपनी जमीन किन्नू का बाग लगाया. उसे बागवानी में इतना फायदा हुआ कि उसने परांपरागत फसलों को बिलकुल ही छोड़ दिया.

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उसने बताया कि 15 साल के बाद जब किन्नू के पौधें डेड होने लगे तो उसने उसे उखाड़कर एक बार फिर से सरकार और विभाग की मदद से बाग लगा दिया. सरकार की ओर उसे पौधे लगाने से लेकर वॉटर टैंक बनाने और पूरे बाग में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम लगाने के लिए आर्थिक सहयोग तो दिया ही गया. साथ ही विभाग की एक्सपर्ट टीम ने भी बाग लगाने में मदद की. उसने बताया कि उसके बाग में लगने वाले किन्नू की डिमांड इतनी होती है कि फसल आते ही हाथों-हाथ बिक जाती है साथ ही उसे समय पर उसकी फसल के दाम भी मिल जाते हैं.

उसने बताया कि परांपरागत फसल अब जोखिम का सौदा बन कर रह गई हैं. कभी समय पर बरसात न होना, कभी अतिवृष्टि तो कभी बीमारी इन सबके बाद, यूरिया, खाद, पेस्टिसाईड पर अलग खर्च. इन सबको मिलाकर परांपरागत फसलों से मिलने वाला लाभ न के बराबर रह जाता है जबकि बागवानी में लाभ अधिक होता है. कृष्ण ने बताया कि जब उसने बाग लगाया था तो आसपास कहीं भी बाग नहीं था, अब हर रोज उसके पास किसान उसका बाग देखने और अपने खेतों में बाग लगाने के लिए सलाह लेने पहुंचते हैं और अब आसपास के खेतों में किसानों ने बाग लगा भी लिए हैं.

Input: Ajay Mehta

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