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Drone Attack: भारत आ रहे जहाज पर अटैक के बाद indian navy हुई सतर्क, सागर में बढ़ाई गई सुरक्षा

23 दिसंबर को लाल सागर और अरब सागर में दो व्यापारिक जहाजों पर हमले के तुरंत बाद ही भारतीय नौसेना ने अपने सबसे आधुनिक डिस्ट्रॉयर्स आईएनएस मुरमुगाओ, आईएनएस कोलकाता और आईएनएस कोच्चि को अरब सागर में भेज दिया था. अब इनका साथ देने के लिए एक और डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई भी अरब सागर में पहुंच गया है.

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Drone Attack: भारत आ रहे जहाज पर अटैक के बाद indian navy हुई सतर्क, सागर में बढ़ाई गई सुरक्षा
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Zee News Desk|Updated: Dec 27, 2023, 01:03 PM IST

Drone Attack: अरब सागर में दो व्यापारिक जहाजों पर हमले के बाद भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी तैनाती और चौकसी बढ़ाई है. पहले तैनात 3 डिस्ट्रॉयर्स के अलावा एक और डिस्ट्रॉयर को अरब सागर भेज दिया गया है. आसमान से चौकसी के लिए टोही विमान P8 I के अलावा सबसे ताकतवर ड्रोन सी गार्डियन को भी तैनात किया है. वहीं भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर रेड सी और अरब सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमले बढ़े तो उससे भारत को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.

23 दिसंबर को लाल सागर और अरब सागर में दो व्यापारिक जहाजों पर हमले के तुरंत बाद ही भारतीय नौसेना ने अपने सबसे आधुनिक डिस्ट्रॉयर्स आईएनएस मुरमुगाओ, आईएनएस कोलकाता और आईएनएस कोच्चि को अरब सागर में भेज दिया था. अब इनका साथ देने के लिए एक और डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई भी अरब सागर में पहुंच गया है. पूरे अरब सागर में चौकसी और टोह के लिए पहले ही बड़े रडार से लैस एयरक्राफ्ट P8 I को भेज दिया गया था. अब नौसेना ने चौकसी के लिए अपने सबसे ताकतवर सी गार्डियन ड्रोन के भी तैनात कर दिया है. सी गार्डियन लगातार 18 घंटे तक आसमान में रह सकता है और पूरे इलाके पर नजर रख सकता है. भारतीय तटरक्षक बल ने भी भारत की एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन की सुरक्षा में लगे जहाजों की संख्या बढ़ा दी है. तटरक्षक बल ने आसमान से पूरे अरब सागर पर नर रखने के लिए डोर्नियर एयरक्राफ्ट की तादाद भी बढ़ाई है.

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भारत इस पूरे घटनाक्रम से बहुत चिंतित है. भारत के व्यापार का  बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से होकर गुजरता है. एशिया से यूरोप को जोड़ने वाली स्वेज नहर पर पहुंचने के लिए लाल सागर और अरब सागर को पार करना होता है. खासतौर पर भारत तक पहुंचने वाला ज्यादातर कच्चा तेल इसी रास्ते से आता है. भारत को आने वाले तेल का बड़ा हिस्सा सऊदी अरब और इराक से आता है, जो इसी रास्ते से गुजरता है. पिछले साल से भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदना शुरू किया है जो लाल सागर और अरब सागर के रास्ते आता है. इस तेल के कारण पिछले एक साल में भारत में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. अगर इस रास्ते पर जहाजों का आवागमन असुरक्षित हुआ तो तेल को लाने के लिए अफ्रीका के नीचे से आना पड़ेगा. इस रास्ते से माल आने में न केवल हफ्तों की देरी होगी बल्कि कीमत में भी 50 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक भारत आने वाले दिनों में अरब सागर में सुरक्षा में और बढ़ोत्तरी कर सकता है.
Input: Rishabh Goel

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