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Sawan 2023: आज रखा जाएगा सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, जानें ये जरूरी नियम और पूजा विधि

Sawan 2023: हिंदू धर्म के अनुसार, मंगला गौरी का व्रत सावन के पहले मंगलवार को रखा जाता है और ये व्रत देवी पार्वती को समर्पित होता है. इस व्रत के दौरान पार्वती के स्वरूप मां मंगला गौरी की पूजा की जाती है. तो चलिए जानते हैं मंगला गौरी के व्रत रखने के नियम और पूजा विधि...

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Sawan 2023: आज रखा जाएगा सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, जानें ये जरूरी नियम और पूजा विधि
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Nikita Chauhan|Updated: Jul 04, 2023, 06:47 AM IST

Sawan 2023: भगवान शिव के भक्त जिस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे वो दिन आज से शुरू हो गया है. 4 जुलाई यानी की आज से सावन महीना शुरू हो गया है. इसी के साथ सावन महीने के पहले दिन मंगल गौरी का व्रत रखा जाएगा. मंगला गौरी व्रत को कुंवारी कन्याएं और विवाहित महिलाएं दोनों ही रखती हैं. कहते हैं कि इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और मनचाहा वर प्राप्त होता है.

जानें, मंगला गौरी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार, मंगला गौरी का व्रत सावन के पहले मंगलवार को रखा जाता है और ये व्रत देवी पार्वती को समर्पित होता है. इस व्रत के दौरान पार्वती के स्वरूप मां मंगला गौरी की पूजा की जाती है. इस व्रत को रखने से पति की आयु लंबी होती है. इसी के साथ संतान सुख की भी प्राप्ति होती है. इस व्रत को निसंतान महिला भी रख सकती है. कहते हैं कि अगर कुंवारी कन्या के विवाह में लगातार बाधा आ रही है तो मंगल गौरी का व्रत रखने से ये सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं.

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मंगला गौरी का व्रत रखने वाले भक्तों की मां पार्वती सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उनके ऊपर अपनी कृपा बरसाती हैं. मगल मंगल गौरी व्रत को लेकर कुछ नियमों का पालन कर बेहद जरूरी है. इन नियमों का पालन करते हुए मंगला गौरी व्रत रखने से श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति होती है.

मंगला गौरी व्रत के जरूरी नियम

- अगर आप मंगला गौरी व्रत रख रहे हैं तो इस दौरान क्रोध न करें और किसी को अपशब्दों का इस्तेमाल न करें.

- अगर आप मंगला गौरी व्रत रख रहे हैं तो घर में साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें.

- अगर आप मंगला गौरी व्रत रख रहे हैं तो हर साल सावन में इस व्रत को रख सकते हैं. मगर किसी कारण ये व्रत छूट जाता है तो सावन के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन कर सकते हैं.

- अगर आप मंगला गौरी व्रत रख रहे हैं तो पूजन सामग्रियों में चूड़ी, सुपारी, पान, लौंग, फूल आदि की संख्या 16 में रहनी चाहिए.

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