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Basant Panchami 2024: मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा संपन्न, जानें शुभ मुहूर्त

Basant Panchami 2024: आज देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. लोग इस दिन घरों के अलावा मां सरस्वती की प्रतिमा पंडालों में स्थापित कर भव्य रूप से पूजा कर सद्बुद्धि की कामना करते हैं. दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत से जाने पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

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Basant Panchami 2024: मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा संपन्न, जानें शुभ मुहूर्त
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Nikita Chauhan|Updated: Feb 14, 2024, 08:14 AM IST

Basant Panchami 2024: आज देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है. लोग इस दिन घरों के अलावा मां सरस्वती की प्रतिमा पंडालों में स्थापित कर भव्य रूप से पूजा कर सद्बुद्धि की कामना करते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं. विद्यार्थियों के लिए यह दिन और भी विशेष होता है. आइए जानते हैं आज पूजा करने का शुभ मूहुर्त क्या है.

मां सरस्वती पूजा अर्चना शुभ मुहूर्त

दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि माता सरस्वती का अवतरण बसंत पंचमी के दिन ही हुआ था. इस दिन मां सरस्वती की पूजा का शुभ मूहुर्त सुबह 7 बजकर 5 मिनट से लेकर 9 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है. माता सरस्वती की पूजा, विशेषकर विद्यार्थी और कला आदि से जुड़े हुए लोगों द्वारा की जाती है. इस पर्व को लेकर देशभर में उत्साह एवं उल्लास देखने को मिलता है.

बसंत पंचमी पर पीले रंग का क्या है महत्व?

इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना काफी शुभ माना जाता है. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीले रंग के पुष्प, पीले अक्षत, पीले रंग की चुनरी और पीले रंग का भोग लगाया जाता है. इससे माता सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है. पीला रंग सकारात्मता से संबंध होता है. पीले रंग का तिलक लगाने से मन भी शांत रहता है. वहीं ग्रहों की बात करें तो यह रंग बृहस्पति ग्रह से संबंधित है और जिन लोगों का बृहस्पति कमजोर होता है,  उन्हें पीले रंग के वस्त्र जरूर पहनने चाहिए, खासकर बृहस्पतिवार के दिन.

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बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें. इसके बाद साफ पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. मगर स्नान से पहले नीम और हल्दी का लेप अपने शरीर पर जरूर लगाएं. इसके बाद स्नान करें. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा की तैयारी करें. नाहने के बाद पीले रंग के नए वस्त्र धारण करें. इसके बाद मां सरस्वती की मूर्ति या प्रतिमा को पूजा वाली जगह पर स्थापना करें.

मां सरस्वती की आरती

जय सरस्वती माता,

मैया जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी,

त्रिभुवन विख्याता ॥

जय जय सरस्वती माता…॥

चन्द्रवदनि पद्मासिनि,

द्युति मंगलकारी ।

सोहे शुभ हंस सवारी,

अतुल तेजधारी ॥

जय जय सरस्वती माता…॥

बाएं कर में वीणा,

दाएं कर माला ।

शीश मुकुट मणि सोहे,

गल मोतियन माला ॥

जय जय सरस्वती माता…॥

 

देवी शरण जो आए,

उनका उद्धार किया ।

पैठी मंथरा दासी,

रावण संहार किया ॥

जय जय सरस्वती माता…॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनि,

ज्ञान प्रकाश भरो ।

मोह अज्ञान और तिमिर का,

जग से नाश करो ॥

जय जय सरस्वती माता…॥

 

धूप दीप फल मेवा,

माँ स्वीकार करो ।

ज्ञानचक्षु दे माता,

जग निस्तार करो ॥

॥ जय सरस्वती माता…॥

माँ सरस्वती की आरती,

जो कोई जन गावे ।

हितकारी सुखकारी,

ज्ञान भक्ति पावे ॥

जय जय सरस्वती माता…॥

जय सरस्वती माता,

जय जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी,

त्रिभुवन विख्याता ॥

(इनपुटः हरि किशोर शाह)

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