New Delhi Crime News: दिल्ली के द्वारका में शनिवार शाम 3 गोलियों ने आखिरकार 3 दशक से चली आ रही दुश्मनी का अंत कर दिया. दुश्मनी जो प्रदीप और वीरेंद्र के परिवार के बीच थी, जिसकी नींव पड़ी थी दिल्ली के ही सन्नोट गांव में जब 1987 में वकील वीरेंद्र के दादा ने आरोपी प्रदीप के चाचा का मर्डर कर दिया था.
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शनिवार शाम को हुई वकील की हत्या के बाद पुलिस के आस-पास के सीसीटीवी (CCTV) को खंगाला तो आरोपियों की पहचान प्रदीप और नरेश के तौर पर हुई. दोनों आरोपी सन्नोट गांव के रहने वाले हैं. बताया जा रहा है कि आपसी रंजिश के चलते प्रदीप ने 2017 मे भी वकील वीरेंद्र पर हमला किया था, जिसमे वीरेंद्र बच गया था, लेकिन उसका ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया था. इसके बाद वकील वीरेंद्र कुमार को दिल्ली पुलिस की तरफ से PSO भी मिला था, लेकिन कोविड के दौरान उसकी सुरक्षा हटा दी गई थी. पुलिस को मिले सीसीटीवी में साफ देखा जा सकता है कि दोनों बाइक पर सवार होकर वीरेंद्र का पीछा कर रहे थे और मौका मिलते ही दोनों ने वीरेंद्र पर बेहद करीब से 3 गोलियां मारी.
पुलिस भले ही इसे प्रॉपर्टी से जुड़ा आपसी रंजिश का मामला मान कर चल रही है, लेकिन सूत्रों के अनुसार इस रंजिश की शुरुआत सन 1987 में उस वक्त हुई थी, जब वीरेंद्र के दादा रामस्वरूप ने प्रदीप के चाचा की हत्या कर दी थी. उस वक्त प्रदीप की उम्र 2 साल थी, लेकिन उसके बाद वीरेंद्र के दादा ने प्रदीप के दादा की भी हत्या कर दी थी. वक्त के साथ प्रदीप जैसे-जैसे बड़ा हुआ, बदला लेने के मकसद से उसने पहलवानी भी शुरू कर दी. इसी बीच प्रदीप के परिवार को मिलने वाले मुआवजे की रकम को वीरेंद्र ने कानूनी अड़चनों में फंसा दिया, जिसकी वजह से प्रदीप के परिवार की माली हालत बेहद खराब हो गई.
पुलिस के मुताबिक आरोपी और मरने वाले दोनों दिल्ली के ही सन्नोट गांव के रहने वाले हैं. पहचान होने के बाद अब जल्द से जल्द पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर लेगी, लेकिन तीन दशक पुरानी रंजिश का अंत इतना खौफनाक होगा किसी ने सोचा न था.