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Delhi News: CTI ने DDA के सिर पर फोड़ा जलभराव का ठीकरा, मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखकर की ये मांग

Delhi News: दिल्ली में जलनिकासी को लेकर सीटीआई ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखा है, जिसमें मास्टर प्लान 2041 में जलनिकासी, जल संचयन और जल प्रबंधन के उपयुक्त प्रावधान किए जाने की मांग की है. 

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Delhi News: CTI ने DDA के सिर पर फोड़ा जलभराव का ठीकरा, मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखकर की ये मांग
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Balram Pandey|Updated: Jul 18, 2023, 02:49 PM IST

Delhi News: राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से बाढ़ का सितम देखने को मिल रहा है, जिसके बाद अब दिल्ली में जलनिकासी को लेकर सीटीआई ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखा है. CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली में पिछले दिनों हुई बारिश और यमुना में आई बाढ़ की वजह से कई इलाकों में भारी जलभराव देखने को मिला. बाजारों से लेकर रिहायशी कॉलोनियों तक सभी में पानी भर गया, जिससे काफी नुकसान भी हुआ है. ऐसे में मास्टर प्लान 2041 में जलनिकासी, जल संचयन और जल प्रबंधन के उपयुक्त प्रावधान होने चाहिए. 

बृजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली में पहला मास्टर प्लान 60 साल पहले 1962 में आया था, तब से अब तक ड्रेनेज सिस्टम और वॉटर मैनेजमेंट पर जमीनी स्तर का काम नहीं हुआ है. किसी भी शहर को बसाने और भविष्य की प्लानिंग में मास्टर प्लान अहम होता है, जो कि केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय और डीडीए की जिम्मेदारी होती है. लेकिन दिल्ली शहर की बसावट और प्लानिंग में डीडीए पूरी तरह से नाकाम रहा है, इसी का नतीजा है कि दिल्ली में बारिश के हर सीजन में जगह-जगह जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव और रमेश आहूजा ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, 2041 में दिल्ली की आबादी करीब 3 करोड़ होगी और पानी की मांग 1200 एमजीडी होगी. इसमें उपयोग के बाद 80 प्रतिशत वेस्ट पानी उत्पन्न होगा. खराब पानी को फिर से उपयोग में लाने के लिए मौजूदा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) को अपग्रेड किया जाए, करीब 40 नए STP बनाने की आवश्यकता है. अभी दिल्ली में 6 ड्रेनेज जोन हैं, जिसे बढ़ाकर 14 किए जाएं. प्रत्येक जिले में एक ड्रेनेज जोन हो.

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बृजेश गोयल ने कहा कि NCR की अवधारणा के अनुसार आस-पड़ोस के शहरों को जोड़ा जाए. दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को सोनीपत, पानीपत, गुड़गांव, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद के सिस्टम से एकीकृत करना चाहिए. अलग-अलग क्षेत्रों में जमीन के अंदर वॉटर टैंक बनाए जाएं, जहां बरसाती पानी का भंडारण हो सके. नालों और जलाशयों के किनारे 10 मीटर का अनिवार्य ग्रीन बफर बनाया जाए. बरसात के पानी के बहाव को कम करना और जमीन में रिसाव की व्यवस्था कर भूजल रिचार्ज को बढ़ावा दिया जाए.

बारिश के पानी की निकासी के लिए पार्कों की डिजाइन को एकीकृत किया जाए, इससे वर्षा जल संचयन हो सकेगा. जलनिकासी के लिए प्राकृतिक समाधान अपनाना, प्राकृतिक नालों, नदी के किनारे हरित क्षेत्र की मोटी बाढ़ बनाई जाए. वॉटर मैनेजमेंट के लिए जमीन की जरूरत होगी. बृजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली में अधिकतर जमीन डीडीए के अधीन है, जो शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है. दोनों को मिलकर प्लानिंग करनी होगी.

बाजारों के लिए अलग से प्लानिंग
सीटीआई उपाध्यक्ष गुरमीत अरोड़ा ने बताया कि 40 प्रमुख बाजारों में कश्मीरी गेट, चांदनी चौक, सदर बाजार, चावड़ी बाजार, नया बाजार, खारी बावली, राजौरी गार्डन, करोल बाग, तिलक नगर, लाजपत नगर, कमला नगर, नेहरू प्लेस, साउथ एक्स, सरोजिनी नगर, रोहिणी, पीतमपुरा में जलनिकासी का उपयुक्त प्रबंध सुनिश्चित किया जाए.

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