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Constitution Day: SC परिसर में CJI बोले, पोर्टल के माध्यम से पहुंचेगा कैदी की रिहाई का आदेश

Constitution Day: सुप्रीम कोर्ट परिसर में संविधान दिवस के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायलय के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले हैं.

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Constitution Day: SC परिसर में CJI बोले, पोर्टल के माध्यम से पहुंचेगा कैदी की रिहाई का आदेश
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Balram Pandey|Updated: Nov 26, 2023, 04:40 PM IST

Constitution Day: संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- मैं संविधान दिवस के मौके पर भारत के नागरिकों से ये कहना चाहता हूं कि सर्वोच्च न्यायलय के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहे हैं और आगे भी खुले रहेंगे. आपको कोर्ट आने से डरने की कभी जरूरत ही नहीं है. न्यायपालिका के प्रति आपकी आस्था हमें प्रेरित करती है. आपका विश्वास हमारा श्रद्धा स्थान है.

दो नए पोर्टल के लांच की घोषणा की
e-SCR portal का हिंदी वर्जन लांच किया गया. चीफ जस्टिस ने जानकारी देते हुए बताया कि 21 हजार 388 जजमेंट का हिंदी में अनुवाद कर उन्हें चेक करके इस पोर्टल पर अपलोड किया है. बाकी जजमेंट के हिंदी अनुवाद को भी जल्द अपलोड कर दिया जाएगा. 9276 फैसलों का पंजाबी, तमिल, गुजराती मराठी, तेलगू, ओड़िया, मलयालम, बंगाली, कन्नड़, उर्दू, नेपाली, असमिया जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर e-SCR पोर्टल पर अपलोड किया गया है.

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FASTER 2.0 नाम के एक नए पोर्टल को लांच किया गया है, जिसके जरिये किसी भी कैदी की रिहाई का आदेश तुरंत जेल अधिकारियों, ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पहुंचेगा, ताकि उस पर जल्द से जल्द अमल हो सके और उस व्यक्ति की समय पर रिहाई सुनिश्चित की जा सके.

इस दौरान CJI ने कहा कि पिछले 7 दशकों में सुप्रीम कोर्ट ने देश की आम जनता के कोर्ट के रूप में खुद को स्थापित किया है. लोग इस उम्मीद में कोर्ट आते हैं कि उन्हें इंसाफ मिलेगा. लोग अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, गैर कानूनी तरीके से हुई गिरफ्तारी से बचने, बन्धुआ मजदूर, आदिवासियों के अधिकारों का हनन रोकने के लिए, कार्यस्थलों पर यौन शोषण को रोकने के लिए, साफ पानी, साफ हवा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट आते हैं.

चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारा सुप्रीम कोर्ट शायद दुनिया का इकलौता ऐसा कोर्ट है, जहां पर एक व्यक्ति सिर्फ चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर भी इंसाफ की उम्मीद लगा सकता है. महज एक पोस्ट कार्ड, एक मेल ही काफी होता है कि सुप्रीम कोर्ट उस मामले का संज्ञान ले और कई बार ऐसा भी कई बार हुआ है कि SC ने उसे अर्जेट मानते हुए केस को उसी दिन सुनवाई के लिए लिस्ट भी कर दिया.

CJI ने कहा कि लोगों को इंसाफ दिलाना सुनिश्चित करने के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट की हमेशा ही कोशिश रही है कि उसका प्रशासनिक ढांचा देश की जनता को केंद्र में रखकर काम करें. वहीं उन्होंने कहा कि आजकल कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण तक हो रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि देश के लोग इस बात को समझ सकें कि आखिर अदालतों में काम किस तरीके से होता है. फैसलों का स्थानीय भाषा में अनुवाद हो रहा है.

CJI ने कहा कि SC के अब तक अग्रेंजी भाषा के दिए गए 36 हजार से ज्यादा जजमेंट E- SCr पोर्टल पर बिलकुल फ्री उपलब्ध कराए गए हैं. ये न केवल वकीलों के लिए बल्कि कानून के छात्रों के लिए भी उपयोगी साबित हो रहे हैं.

CJI ने कहा कि संविधान सभा के आखिरी संबोधन में डॉक्टर अंबेडकर ने ये सवाल किया था कि भारत के सवैंधानिक लोकतंत्र का क्या भविष्य होगा. क्या भारत अपने संविधान को बचा पाएगा या फिर एक बार फिर से खो देगा, लेकिन हम न केवल अपने संविधान को बचा पाए हैं, बल्कि देश के आम नागरिको ने संविधान को आत्मसात किया है.

CJI ने कहा कि पिछली बार संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने जेल में कैदियों की भारी तादाद पर चिंता जाहिर की थी. हम कानूनी प्रक्रिया को इस तरीके से आसान बना रहे हैं, ताकि लोग बिना वजह जेल में रहने के लिए मजबूर न हो. ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं ताकि किसी भी कैदी की रिहाई का आदेश तुरंत सम्बंधित ऑथोरिटी तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पहुंच सके ताकि वो व्यक्ति समय पर रिहा हो सके.

 

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