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UP BJP News: यूपी में इतनी सीटें कैसे हार गई भाजपा? इंटरनल रिपोर्ट में एक नहीं, कई कारण पता चले

UP Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन के जरिए भाजपा ने केंद्र में सरकार तो बना ली लेकिन उसकी सीटें बढ़ने की जगह घट गईं. यूपी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. अब आंतरिक रिपोर्ट में भाजपा को हार के कुछ कारण पता चले हैं. 

UP BJP News: यूपी में इतनी सीटें कैसे हार गई भाजपा? इंटरनल रिपोर्ट में एक नहीं, कई कारण पता चले
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Anurag Mishra|Updated: Jun 17, 2024, 09:15 AM IST

Uttar Pradesh BJP Review: लोकसभा चुनाव के समय भाजपा 'अबकी बार 400 पार' का नारा लगवा रही थी लेकिन यूपी में उसे तगड़ा झटका लग गया. भगवा दल राज्य में दूसरे नंबर पर खिसक गया. सपा को सबसे ज्यादा 37, भाजपा को 33 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं. नतीजे आने के बाद भाजपा ने हार की समीक्षा शुरू कर दी और अब अंदरखाने से प्रारंभिक रिपोर्ट के बारे में जानकारी सामने आई है. 

  1. 1. अति उत्साह किस बात का था? पहली रिपोर्ट 80 लोगों की टीम तैयार कर रही है. हारे हुए प्रत्याशियों की तरफ से दूसरी रिपोर्ट यूपी भाजपा आलाकमान को सौंपी जाएगी. इसे आगे केंद्रीय आलाकमान को भेजा जाएगा. सूत्रों की मानें तो पहली मंडल स्तर की रिपोर्ट में पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर खुद को जीता हुआ मानकर प्रत्याशी अति उत्साही हो गए थे. दरअसल, जिस तरह से मोदी लहर में कैंडिडेट 2014 में जीते थे और 2019 में उसी तरह का मोदी मैजिक देखने को मिला था, उससे वे मानकर चल रहे थे कि इस बार भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला. वे मोदी के नाम पर मिल रहे जन समर्थन से अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे.  
  2. 2. नाराज थी जनता: हां, 2 बार से ज्यादा जीते हुए सांसदों को लेकर जनता में नाराजगी थी. यूपी के गांवों में एक आम धारणा बन गई थी कि सांसद कभी आते नहीं, जीतने के बाद मिलते नहीं. काफी लोगों ने फिर भी मोदी के नाम पर भाजपा को वोट किया लेकिन जहां विपक्ष का कैंडिडेट मजबूत था या दूसरे किसी फैक्टर से बेहतर लगा, लोगों ने ईवीएम का दूसरा बटन दबा दिया. इंटरनल रिपोर्ट में पता चल रहा है कि कुछ सांसदों का व्यवहार भी ठीक नहीं था.  
  3. 3. भाजपा कहां चूकी? बताते हैं कि राज्य सरकार ने करीब 3 दर्जन सांसदों के टिकट काटने या बदलने के लिए कहा था, उसकी अनदेखी हुई. जब कैंडिडेट के नाम की घोषणा हुई तो ज्यादातर पुराने उम्मीदवारों पर ही भरोसा जताया गया जबकि जमीन पर उनके खिलाफ माहौल था. समीक्षा करने पर पता चला कि अगर टिकट बदले जाते तो परिणाम बेहतर होते. 
  4. 4. इसके अलावा विपक्ष के कैंपेन ने भी काफी कुछ हवा का रुख बदला. भाजपा कार्यकर्ता अपने वोटरों को भीषण गर्मी में बाहर नहीं निकाल सके. लोगों में यह धारणा भी बन गई थी कि मोदी सरकार तो आ ही रही है. गली-नुक्कड़ और घर-घर जाने की बजाय नेता रैली और रोडशो पर ही केंद्रित रहे.
  5. 5. मायावती का पक्का वोट बैंक यानी दलित समुदाय इस बार कुछ हद तक अखिलेश यादव के साथ दिखा. भाजपा को सबसे बड़ा झटका काशी में मिला, जहां पीएम मोदी की जीत का अंतर बढ़ने की बजाय घट गया. 
  6. 6. भाजपा को अपने करोड़ों लाभार्थियों पर भरोसा था लेकिन कांग्रेस ने 8500 रुपये महीने की गारंटी देकर उसमें सेंध लगाई. कई सीटों पर अंदरूनी मतभेद भी रहे जिस कारण पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. (रिपोर्टर विशाल सिंह रघुवंशी के इनपुट के साथ)

सूत्रों के हवाले से पता चला है कि यूपी में करारी हार पर भाजपा की प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार हो गई है. जी हां, यूपी में हार की वजह खोज रही भाजपा की पहली मंडल स्तर की रिपोर्ट तैयार हो गई है. प्रत्याशियों की तरफ से अलग फीडबैक लिया जा रहा है. कुल तीन रिपोर्ट सामने आने के बाद उसका मिलान किया जाएगा. आइए जानते हैं हार के मुख्य कारण क्या पता चले हैं.

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