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PM मोदी ने भले ही चिराग पासवान के थपथपाए हों गाल, 'चाचा' क्‍या छोड़ेंगे 'भतीजे' के लिए सीट?

Chirag Paswan vs Pashupati Paras: रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी एलजेपी दो गुट में बंट गई, जिसमें से एक गुट के नेता उनके भाई पशुपति पारस हैं, तो दूसरे गुट के नेता बेटे चिराग पासवान हैं.

PM मोदी ने भले ही चिराग पासवान के थपथपाए हों गाल, 'चाचा' क्‍या छोड़ेंगे 'भतीजे' के लिए सीट?
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Sumit Rai|Updated: Oct 30, 2023, 08:49 AM IST

Chirag Paswan vs Pashupati Paras: दिल्ली में एनडीए नेताओं की बैठक चल रही थी. बैठक में जब चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने पीएम नरेंद्र मोदी के पैर छुए तो उन्होंने एक बेटे की तरह प्यार दिया. पीएम मोदी ने ना सिर्फ गालों को सहलाया, बल्कि चिराग को गले भी लगाया. इसके बाद इतना ही नहीं, इस दौरान चिराग ने अपने चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) के पैर भी छुए. इसके बाद यह कहा जाने लगा कि दोनों के बीच सुलह हो गई है, लेकिन अब चाचा पशुपति पारस ने एक बार फिर तेवर दिखाएं हैं और साफ कर दिया है कि वह अपने भतीजे चिराग पासवान के लिए हाजीपुर लोकसभा सीट नहीं छोड़ेंगे.

हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर क्यों है लड़ाई?

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पूर्व प्रमुख दिवंगत रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने लंबे समय तक हाजीपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया और अब चिराग पासवान (Chirag Paswan) इस सीट पर अपना दावा कर रहे हैं. अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी एलजेपी दो गुट में बंट गई, जिसमें से एक गुट के नेता उनके भाई पशुपति पारस हैं, तो दूसरे गुट के नेता बेटे चिराग पासवान हैं.

मां के लिए हाजीपुर सीट चाहते हैं चिराग

चिराग पासवान जमुई लोकसभा सीट से सांसद हैं और अपने दिवंगत पिता की पुरानी सीट पर अपनी मां रीना को मैदान में उतारकर हाजीपुर पर दावा करने की कोशिश कर रहे हैं. चिराग के इस कदम के बारे में पूछे जाने पर पशुपति पारस ने मजाकिया अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा,'उन्हें पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह किस पार्टी के टिकट के तहत सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनकी पार्टी नहीं, बल्कि दलदल है.

2024 के चुनाव में 5 सीटें चाहते हैं पशुपति पारस

केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने साल 2021 में लोजपा में विभाजन की साजिश रची थी और तब चिराग पासवान पार्टी के अध्यक्ष थे. पशुपति पारस से जब यह पूछा गया कि वह साल 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए कितनी सीट चाहते हैं. इस पर उन्होंने कहा,'साल 2019 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(NDA) के तीन घटक दल थे और उसने 39 सीट जीती थीं. अब केवल दो दल हैं. हम भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र स्थिर सहयोगी हैं. मौजूदा लोकसभा में हमारी पार्टी के कुल पांच सांसद हैं. हम इन सभी सीट पर चुनाव लड़ेंगे और बिहार में एनडीए को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करेंगे.'

28 नवंबर को हाजिपुर में लोजपा का स्थापना दिवस

पशुपति पारस ने हाजिपुर में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की एक बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'हम हर साल 28 नवंबर को लोजपा का स्थापना दिवस मनाते हैं. हम इस साल भी ऐसा करेंगे, लेकिन लेकिन समारोह पटना की जगह हाजीपुर में आयोजित किया जाएगा जो दिवंगत राम विलास पासवान की कर्मभूमि रही है.' यह पूछे जाने पर कि क्या स्थल में बदलाव उनके दिवंगत भाई के गढ़ में शक्ति परीक्षण के लिए है. इसके जवाब में पारस ने कहा,'यह एक बदलाव होगा. यह हर साल एक ही प्रकार के भोजन की एकसरता को दूर करने के लिए एक अलग व्यंजन आजमाने जैसा है.'
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

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