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Manish Kashyap Case: क्या होता है NSA जो मनीष कश्यप पर लगाया गया? जानें यूट्यूबर पर अबतक कितनी धाराएं लगीं

मनीष कश्यप पर IPC की धारा-153/153 (A)/153 (B)/505 (1) (B)/505(1) (C)/468/471/120 (B) और 67 IT Act के तहत मामले दर्ज हैं. तमिलनाडु में उसके खिलाफ 13 मामले दर्ज हैं. 

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यूट्यूबर मनीष कश्यप
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Apr 06, 2023, 06:54 PM IST

YouTuber Manish Kashyap: बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप पर अब तमिलनाडु पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA के तहत कार्रवाई की है. जिसके बाद माना जा रहा है कि उसको जेल से बाहर आने में काफी वक्त लग सकता है, क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम में लोगों को जमानत नहीं मिलती है. अब सवाल ये है कि NSA क्या होता है और किन अपराधों में इसे लगाया जाता है. 

 

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) एक्ट भारत के सबसे कठिन कानूनों में से एक है. इस कानून को 1980 में देश की सुरक्षा के लिहाज से सरकार को ज्यादा शक्ति देने के उद्देश्य से बनाया गया था. अगर केंद्र सरकार या राज्य सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश या राज्य की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, तो उसे NSA कानून के तहत 12 महीने तक गिरफ्तार करके हिरासत में लिया जा सकता है.

NSA के प्रावधान क्या हैं?

NSA एक्ट अनुसार संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है और इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है. इस कानून के तहत अधिकतम 12 महीनों तक किसी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में रखा जा सकता है. हिरासत में लिया गया व्यक्ति हाईकोर्ट के एडवाइजरी के सामने अपील कर सकता है. जिस पर केंद्र सरकार या राज्य सरकार को यह बताना होता है कि इस व्यक्ति को हिरासत में क्यों रखा गया है?

ब्रिटिश जमाने से जुड़ा है कानून

इस कानून की मूल अवधारणा ब्रिटिश शासन के एक बंगाल रेगुलेशन थर्ड कानून से जुड़ा है, जिसमें किसी घटना के होने से पहले ही संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता था. ब्रिटिश सरकार ने इस कानून को 1881 में बनाया था. 1919 में इसी तरह का एक और कानून, रोलेट एक्ट लाया गया, जिसमें व्यक्ति को ट्रायल तक की छूट नहीं थी. आजाद भारत में 1950 में नेहरू की सरकार प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट बनाया था. इंदिरा गांधी की सरकार ने 23 सितंबर 1980 को संसद से पास करा कर इसे कानून बना दिया था. 

मनीष कश्यप पर कितनी धाराएं लगी हैं?

तमिलनाडु में मनीष कश्यप के खिलाफ 13 मामले दर्ज हैं. उस पर IPC की धारा-153, 153 (A), 153 (B), 505 (1) (B), 505(1) (C), 468, 471, 120 (B) और 67 IT Act के तहत मामले दर्ज हैं. तमिलनाडु पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर 29 मार्च को अपने साथ ले गई थी. इसके अलावा आर्थिक अपराध इकाई की टीम भी रिमांड लेकर मनीष से पूछताछ कर चुकी है. पर बिहार में भी कई मामले दर्ज हैं. बिहार पुलिस ने मनीष कश्यप के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है. जानकारी के मुताबिक, उसके पास कई बैंक खाते हैं और उनमें इस वक्त 42.11 लाख रुपये जमा हैं.

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सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

उधर मनीष कश्यप की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. 5 अप्रैल बुधवार को उनकी ओर से सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में मनीष की ओर से अंतरिम जमानत के साथ अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को भी एक साथ जोड़ने की मांग की है. बता दें कि बीते सप्ताह ही तमिलनाडु पुलिस की टीम कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट लेकर मनीष को पटना से ले गई थी. 

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