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Simaria Ardh Kumbh 2023: सिमरिया अर्धकुंभ का भव्य-दिव्य आगाज, बीजेपी के तमाम नेता पहुंचे

Simriya Ardh Kumbh 2023: इस आयोजन में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा सहित तमाम बड़े नेता भी शामिल हुए. यहां पर धर्म ध्वज का ध्वजा रोहण किया गया. 

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फाइल फोटो
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Oct 30, 2023, 08:12 AM IST

Simria Ardh Kumbh 2023: बेगूसराय के प्रसिद्ध सिमरिया गंगा धाम में अर्ध कुंभ का आगाज हो चुका है. कल यानी रविवार (29 अक्टूबर) की शाम एक जुलूस का आयोजन किया गया. यह जुलूस बेगूसराय नौलखा मंदिर से निकलकर सिमरिया कुंभ स्थल तक पहुंचा. इसमें साधु संतों के साथ-साथ सैकड़ो ग्रामीणों ने भाग लिया. इसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा सहित तमाम बड़े नेता भी शामिल हुए. यहां पर धर्म ध्वज का ध्वजा रोहण किया गया. उसके बाद सभी नेताओं ने अपने-अपने बात को रखा. संत-महात्माओं की उपस्थिति में कुंभ पुनर्जागरण के प्रेरणा पुरुष करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने अर्धकुंभ का ध्वजारोहण किया.

गंगा तट पर कुंभ ध्वज, इंद्र ध्वज, हनुमंत ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज की विधि-विधान से मंत्रोच्चार के बीच स्थापना की गई. बता दें कि अर्धकुंभ कार्तिक पूर्णिमा तक चलेगा. इस बीच तीन पर्व (शाही) स्नान और तीन परिक्रमा का विधान है. 12 वर्ष पूर्व सिमरिया में अर्धकुंभ का आयोजन हुआ था. 12 वर्ष का अंतराल पूर्ण होने पर फिर से अर्धकुंभ का आयोजन किया गया है. 2011 में अर्धकुंभ में सिमरिया में एक अनुमान के अनुसार 90 लाख लोगों ने स्नान किया था. सनातन हिंदू धर्म में कुंभ का बड़ा ही विशेष महत्व है. 

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धर्म ग्रंथों के अनुसार, कुंभ का प्रादुर्भाव समुद्र मंथन से जुड़ा है. समुद्र मंथन का उल्लेख लगभग सभी पुराणों में मिलता है. समुद्र को मथने के लिए देवताओं और दानवों ने जिस वासुकी नाग को रस्सी और जिस मंदार पर्वत को मथनी बनाया था, वो सिमरिया से 200-250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सिमरिया को मिथिलांचल का द्वार भी कहा जाता है. मान्यता है कि माता सीता की विदाई के वक्त महाराज जनक उन्हें सिमरिया तक विदा करने के लिए पहुंचे थे. इसके अलावा यहां वर्षों से कल्पवास की प्रथा भी चली आ रही है. इसके अलावा सिमरिया ही वह स्थान था जहां भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर अमृत का वितरण किया था. 

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