पटनाः Navratri 7th Day, Maa Kalratri Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही विकराल और डरावना है. उनका वर्ण काला है. वह शत्रुओं में भय पैदा कर देने वाली देवी हैं. शत्रुओं का काल हैं. इस वजह से उनको कालरात्रि कहा जाता है. देवी के आर्विभाव का वर्णन रक्तबीज वध के दौरान मिलता है.
जब देवी चंडिका ने देखा कि रक्तबीज पर वार करते ही उसका जो रक्त भूमि पर गिरता है वहां और भी रक्त बीज पैदा हो जाते हैं. इसके बाद ही उन्होंने अपनी सातवीं शक्ति कालरात्रि का आह्वान किया. देवी खड्ग और खप्पर के साथ प्रकट हुईं और उन्होंने रक्तबीजों को मारकर खप्पर में भर-भरके उनका रक्त पिया था. देवी को उनके विकराल स्वरूप के कारण ही कालरात्रि कहा गया है. लेकिन माता बहुत दयालु हैं और भक्तों पर कृपा करती हैं.
मां कालरात्रि की पूजा विधि
आज प्रात:स्नान के बाद व्रत और मां कालरात्रि के पूजन का संकल्प लें. उसके बाद मां कालरात्रि को जल, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, फल, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करते हुए पूजन करें. इस दौरान मां कालरात्रि के मंत्र का उच्चारण करते रहें. उसके बाद मां को गुड़ का भोग लगाएं. फिर दुर्गा चालीसा, मां कालरात्रि की कथा आदि का पाठ करें. फिर पूजा का समापन मां कालरात्रि की आरती से करें. पूजा के बाद क्षमा प्रार्थना करें और जो भी मनोकामना हो, उसे मातारानी से कह दें.
कालरात्रि देवी की पूजा में लाल रंग जरूर होना चाहिए. देवी को लाल रंग प्रिय है. इसलिए इनकी पूजा में लाल गुलाब या लाल गुड़हल का फूल अर्पित करना चाहिए. हालांकि इनको रातरानी का फूल भी चढ़ाना शुभ होता है. नवरात्रि के सातवे दिन की पूजा में माता कालरात्रि को आप गुड़ का भोग लगाएं. इससे देवी कालरात्रि प्रसन्न होती है.
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मां कालरात्रि भयानक दिखती हैं लेकिन वे शुभ फल देने वाली हैं. मां कालरात्रि से काल भी भयभीत होता है. ये देवी अपने भक्तों को भय ये मुक्ति और अकाल मृत्यु से भी रक्षा करती हैं. शत्रुओं के दमन के लिए भी इस देवी की पूजा की जाती है.
यह भी पढ़ें- Durga puja 2023: कई प्रसिद्ध सिद्धपीठों में शामिल है वाणेश्वरी मंदिर, जाने मंदिर का खास इतिहास