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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर की स्थापना में चतरा के कार सेवकों की भूमिका को नहीं किया जा सकता नजरअंदाज, जानें पूरी कहानी

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोर शोर से चल रही है. इस अनुष्ठान में देश के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में विदेशी मेहमान भी शामिल होकर इसके गवाह बनेंगे. 

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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर की स्थापना में चतरा के कार सेवकों की भूमिका को नहीं किया जा सकता नजरअंदाज, जानें पूरी कहानी
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jan 15, 2024, 04:25 PM IST
चतराः Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोर शोर से चल रही है. इस अनुष्ठान में देश के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में विदेशी मेहमान भी शामिल होकर इसके गवाह बनेंगे. परंतु अयोध्या में बनाए जा रहे प्रभु श्री राम के मंदिर से लेकर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा तक की इस लंबी यात्रा के गवाह रहे चतरा के कारसेवकों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. 
 
1992 में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में चलाए गए कार सेवा को याद करते हुए चतरा के ओम प्रकाश वर्मा कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना की नींव वैसे तो 1990 में ही तह रखी गई थी जब आरएसएस नेता अशोक सिंघल के आह्वान पर चतरा के करीब 75 कारसेवक अयोध्या के लिए कूच किए गए थे. हालांकि यह संख्या गया पहुंचते ही महज 34 की रह गई थी. 
 
गया से ट्रेन पकड़कर सभी वाराणसी पहुंचे. जहां से संघ के नेता से संपर्क स्थापित कर पैदल अयोध्या के लिए कूच कर गए. दो दिनों की यात्रा के बाद हम सभी को पकड़कर गाजीपुर कैंप जेल में डाल दिया गया. 18 दिनों के बाद सभी को छोड़ा गया और सभी राम जन्म भूमि पहुंचकर सांकेतिक शिलान्यास कर चतरा वापस लौट आए.    
 
पुनः 4 दिसंबर 1992 को कार सेवकों की टीम अयोध्या के लिए रवाना हुई. जिसमें परशुराम शर्मा, नंदलाल केशरी, प्रवीण चंद्र पाठक, प्रदीप राणा, विजय पांडेय, संजय मिश्रा, महेंद्र यादव सहित 22 कारसेवक शामिल थे. उन्होंने बताया कि जैसे ही उन सभी ने अयोध्या में कदम रखा, तो सड़कों पर सिर्फ कारसेवक ही कारसेवक दिखाई दे रहे थे. उसके बाद सभी को सरयू नदी किनारे रामजी के पौड़ी में भगवान भोलेनाथ के मंदिर में ठहराया गया. रात्रि विश्राम के दौरान इन कार्यकर्ताओं की बैठक हुई. उसके अगले दिन सभी एक साथ राम मंदिर के समीप मैदान में अशोक सिंघल, लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा की सभा में शिरकत किए. 
 
वहां कंटीले तार से पूरा मैदान घिरा हुआ था. करीब ढाई से तीन लाख कारसेवक उस मैदान में जमा हुए थे. साध्वी ऋतंभरा का भाषण हुआ. भाषण के दौरान अधिकांश कार्यकर्ता उद्वेलित होने लगे. देखते ही देखते लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई कर उसे ध्वस्त कर दिया. इसमें कई कारसेवक जख्मी हुए और मारे गए. चतरा से गए 22 कारसेवकों में भी कुछ लोग जख्मी हो गए थे. इस बीच कारसेवकों से अपने-अपने घरों को लौटने का आह्वान किया गया और सभी अपने अपने घर लौट आए थे. उन्होंने कहा कि 22 जनवरी गर्व का क्षण है. क्योंकि यहां से राम राज्य की स्थापना होने जा रही है.
इनपुट- धर्मेंद्र पाठक
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