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सीमांचल में पिछले 3 दशक में हुआ डेमोग्राफिक चेंज, राजनीतिक हलकों में भी हलचल तेज

बिहार के सीमांचल में पिछले 3 दशक में डेमोग्राफिक में चेंज देखने को मिला है. सीमांचल का इलाका अपने आप में बेहद खास है. सीमांचल को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल तेज हो गई है. 

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सीमांचल में पिछले 3 दशक में हुआ डेमोग्राफिक चेंज, राजनीतिक हलकों में भी हलचल तेज
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RAJNISH|Updated: Sep 30, 2022, 02:57 PM IST

सीमांचलः बिहार के सीमांचल में पिछले 3 दशक में डेमोग्राफिक में चेंज देखने को मिला है. सीमांचल का इलाका अपने आप में बेहद खास है. सीमांचल को लेकर राजनीतिक मुद्दों पर भी हलचल तेज हो गई है. यहां की संस्कृति, विरासत और मेहमान नवाजी से लेकर साहित्य और हर एक विधा में यह क्षेत्र नायाब है. सड़कों के जाल से इस क्षेत्र में विकास की गति को तेजी मिली है, लेकिन इस तेजी से ज्यादा यहां की जनसंख्या वृद्धि है. अररिया और किशनगंज विश्व में सबसे तेज गति से जनसंख्या वृद्धि वाला क्षेत्र बना हुआ है. लेकिन इस क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से समानुपातिक नहीं है. इसकी सबसे बड़ी वजह जन्म दर के अलावा बांग्लादेशी घुसपैठ, रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ, नेपाल के साथ खुला बॉर्डर शामिल है. 

सीमांचल में तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है. जबकि हिंदू जनसंख्या की वृद्धि दर कम हुई है. इतना ही नहीं सीमांचल के अलग-अलग जिलों में जितनी भी नई बसावट है. इसमें समुदाय विशेष की जनसंख्या देखने को मिल रही है. सीमांचल के चार जिले किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया में मुस्लिम जनसंख्या की मौजूदा स्थिति इस प्रकार है.  

किशनगंज - 76.70 फीसदी
कटिहार - 43 फीसदी
अररिया - 40 फीसदी 
पूर्णिया - 38 फीसदी

'राष्ट्रीयता की भी जांच होनी चाहिए' 
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का कहना है कि बिहार में जातीय जनगणना कराई जा रही है, तो फिर राष्ट्रीयता की भी जांच होनी चाहिए. कही ऐसा न हो कि जातिगत जनगणना के आकड़ों में घुसपैठिये यहां की राष्ट्रीयता हासिल कर ले. 

'मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी'
वहीं केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि तुष्टिकरण की वजह से यहां ऐसा हो रहा है और 1961 से घुसपैठिये की वजह से यहां मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है, साथ ही इस क्षेत्र में मदरसे भी लगातार बढ़े हैं. जिसमे ज्यादातर निजी है और उत्तर प्रदेश के तर्ज पर बिहार में भी मदरसों का सर्वे होना चाहिए. स्थानीय जनसंख्या विशेषज्ञ राजीव सिन्हा का कहना है कि जिस तेजी से इस इलाके में मदरसा बन और बढ़ रहा है. इसकी फंडिंग की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि विदेशी फंडिंग के जरिए इन सबके आड़ में हवाले का भी कारोबार चल रहा है. 

'सभी को नहीं मिल पाती सरकारी सुविधा' 
इस क्षेत्र में जाने पर हर जगह मदरसे दिखेंगे. मुख्य मार्ग पर ही अंदरूनी इलाकों और सीमा के क्षेत्रों में इसकी संख्या और भी ज्यादा है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मदरसे और नए मस्जिद तो बने ही हैं. मदरसों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिसको लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सर्वे कराने की लगातार मांग कर रहे हैं. अररिया में लठौरा के पास एक निजी मदरसे में शिक्षक पढ़ा रहे. ओवैस आलम कहते हैं कि मदरसा इतना ज्यादा है कि इसे गिनना मुश्किल है. जबकि स्थानीय मो मंजूर का कहना है कि इतने ज्यादा लोग आ रहे हैं कि सभी को सरकारी सुविधा नहीं मिल पाती है. 

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामसूरत राय का कहना है कि इस क्षेत्र में जनसंख्या नियंत्रण बेहद जरूरी है, क्योंकि अब यह जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में पहुंच गया है, जबकि संसाधन सीमित है. 

सीमांचल का जनसंख्या मुद्दा बना गंभीर 
विशेषज्ञ राजीव रंजन बताते हैं कि 1980 तक सीमांचल के इलाके में जनसंख्या को लेकर कोई बात नोटिस लेने जैसी नहीं थी. लेकिन 1980 के बाद धीरे-धीरे स्थिति बदलनी शुरू हुई और अब जनसंख्या विस्फोट की स्थिति है. यहां जमीन जेहाद भी चल रहा है. जिसमें स्थानीय लोग पलायन कर रहे हैं और ऊंची कीमत पर मुस्लिम समाज के लोग जो घुसपैठिये हैं वे इसे खरीद रहे हैं. यहां आने के बाद आधार से लेकर सभी तरह के प्रपत्र ये बना लेते हैं और इनपर कोई कार्यवाही नहीं होती है क्योंकि ये यहां के वोट बैंक बन जाते हैं. अब सीमांचल का जनसंख्या बदलाव का मुद्दा गंभीर बन गया है.

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