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UP Nikay Chunav 2023: बसपा की रणनीति सफल रही तो सपा को होगी परेशानी, बीजेपी को हो सकता है फायदा

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है और अब शनिवार 13 मई को पता चल जाएगा कि किसने बाजी मारी और कौन जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. पहले चरण में 37 जिलों में 52 तो दसूरे चरण में 38 जिलों में 53 फीसदी मतदान हुआ.

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(फाइल फोटो)
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: May 12, 2023, 03:37 PM IST

Lucknow: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है और अब शनिवार 13 मई को पता चल जाएगा कि किसने बाजी मारी और कौन जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. पहले चरण में 37 जिलों में 52 तो दसूरे चरण में 38 जिलों में 53 फीसदी मतदान हुआ. निकाय चुनाव में अब परिणाम को लेकर भाजपा, सपा और बीएसपी के अलावा कांग्रेस के उम्मीदवारों के दिलों की हलचल बढ़ी हुई है. वैसे तो निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव में कोई समानता नहीं होती, लेकिन फिर भी यूपी निकाय चुनाव में जिस पार्टी की जीत होगी, उसके कार्यकर्ताओं का हौसला उतना ही बुलंद रहेगा. इसलिए सभी दलों की नजरें चुनाव परिणाम पर टिकी हुई हैं. बीजेपी और सपा ने जहां ज्यादा सवर्ण उम्मीदवारों पर दांव लगाया था तो बसपा ने मुसलमानों को टिकट में तवज्जो बख्शी थी. कांग्रेस ने भी करीब एक चैथाई टिकट मुस्लिम प्रत्याशियों को दिए थे. इस तरह माना जाता है कि मुसलमानों का अगर वोट बंट जाता है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है. 

उत्तर प्रदेश में कुल 760 नगर निकाय की सीटों पर चुनाव संपन्न हुए हैं. इनमें 17 नगर निगम, 199 नगरपालिका और 544 नगर पंचायत की सीटें हैं. 2017 से तुलना करें तो यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आता है. तब बीजेपी 16 में से 14 नगर निगमों में मेयर बनाने में कामयाब रही थी. 2 मेयर बसपा के बने थे तो सपा और कांग्रेस खाली हाथ रह गए थे. 198 पालिका में से बीजेपी 67, सपा 45, बसपा 28 और निर्दलीय 58 जीते थे. 538 नगर पंचायतों में से 100 में बीजेपी, 83 में सपा, 74 में बसपा और 181 में निर्दलीयों ने जीत का परचम लहराया था. 

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हालांकि 2017 के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है और बगावत भी हुई है, जिससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है. बसपा के मुस्लिम कार्ड से सपा को परेशानी हो सकती है. हालांकि बसपा अपनी 2 सीटें बचा ले तो भी गनीमत कही जाएगी. वहीं सपा और कांग्रेस के सामने खाता खोलने की चुनौती है. बीजेपी पिछली बार मेयर चुनाव में अच्छा किया था लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पिछड़ गई थी. तब सपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने बीजेपी को परेशानी में डाला था. इस बार सपा और बसपा ने तैयारी से चुनाव लड़ा है, जिससे भी बीजेपी को दिक्कत हो सकती है. 

2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो मुसलमानों का एकमुश्त वोट सपा के खाते में गया था पर निकाय चुनावों में मुस्लिम वोट बंटते दिख रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने मेयर चुनाव में ब्राह्मण और ओबीसी कार्ड खेला है और 4 मुस्लिम कैंडीडेट भी उतारे हैं. बसपा ने 17 में से 11 पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. इससे सपा को नुकसान हो सकता है. अगर मुस्लिम वोट बैंक बंटा तो बीजेपी को फायदा हो सकता है.

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