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राकेश सिन्हा का कांग्रेस पर हमला, कहा- लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है आपातकाल

लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है आपातकाल. ये बातें राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने बेगूसराय में आयोजित कार्यक्रम में कहा. इस दौरान राकेश सिन्हा ने कांग्रेस एवं सीबीआई पर जमकर हमला बोला.

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(फाइल फोटो)
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jun 25, 2023, 11:09 PM IST

पटना: लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है आपातकाल. ये बातें राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने बेगूसराय में आयोजित कार्यक्रम में कहा. इस दौरान राकेश सिन्हा ने कांग्रेस एवं सीबीआई पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा कर भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा दिया. रातों रात सरकार के स्पष्ट रूप से आलोचक तथा पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया. राष्ट्रपति द्वारा अनुमति पर हस्ताक्षर के पूर्व ही जय प्रकाश नारायण,अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, जार्ज फर्नांडिस समेत अनेक शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया. 

उन्होंने कहा कि हम ऋणी हैं और आभार प्रकट करते हैं उन क्रांतिकारी अपने पूर्वजों का जिन्होंने इस आपातकाल की घड़ी में भी आंदोलन जारी रखा, सरकार के कटु आलोचक बने रहे उनके त्याग, तपस्या के कारण देश में लोकतांत्रिक मूल्यों का सफलता पूर्वक जीत हुआ. राकेश सिन्हा ने आगे इंमरजेंसी को याद करते हुए कहा कि जब हम भारत के स्वातंत्र्योत्तर इतिहास का अवलोकन करते हैं तो उसमें सर्वसत्तावादी और अंहकारी कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का ''ब्लैक होल'' है.  यह युग लोकतंत्र के निलंबन, नागरिक स्वतंत्रता के ह्रास और आम लोगों पर अकल्पनीय अत्याचारों के लिए जाना जाता है. आज, हम आपातकाल के दौरान राज्यसत्ता द्वारा किये गये दमन और उत्पीड़न के विरोध में भारतीय जनता द्वारा किये गये प्रतिरोध और संघर्ष को याद करके लोकतंत्र में अपनी आस्था का प्रकटीकरण कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि आपातकाल का भारत के राजनीतिक संस्थानों पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ा क्योंकि इसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों का अतिक्रमण कर लिया था और सभी संस्थाओं को पंगु बना दिया था. अनेक राज्य सरकारों को भंग कर दिया गया, आपातकाल के दौरान, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनता पर असीम अत्याचार किये. 

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उन्होंने आगे कहा कि 140,000 से अधिक व्यक्तियों, जिनमें राजनीतिक विरोधी, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, लेखक और असहमति व्यक्त करने वाले आम नागरिक शामिल थे, को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करके जेलों में डाल दिया गया. सरकार की नीतियों के विरोध को निर्ममता से कुचलने के लिए आंतरिक सुरक्षा अधिनियम की आड़ में बिना मुकदमे के अनिश्चित काल तक हिरासत में रखने का रास्ता निकाला गया. आपातकाल के समय के हिरासत केंद्रों से यातना और दुर्व्यवहार के रोंगटे खड़े करने वाले किस्से सामने आए. शासन को चुनौती देने वालों को शारीरिक हिंसा, यौन उत्पीड़न और मनोवैज्ञानिक यातना झेलनी पड़ी। क्रूरता के इन कृत्यों का उद्देश्य डर पैदा करना और प्रतिरोध की भावना को कुचलना था. मीडिया सेंसरशिप को आपातकाल के दौरान असंतोष को दबाने के लिए एक शक्तिशाली हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया.  प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को बंद होने या सेंसरशिप के लिए मजबूर किया गया. असंख्य पत्रकारों को उत्पीड़न, गिरफ्तारी और धमकी का सामना करना पड़ा. इस प्रकार कांग्रेस की आततायी सरकार ने भारतीय लोकतंत्र का गला घोंट दिया एक आदमी की अति महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए. 

 कांग्रेस आज भी उसी राह पर चल रही है. यशश्वी, लोकप्रिय, जनता के सेवक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र को मजबूत बनाने का काम किया है और विश्व में भारत का मान बढ़ाया है, लोगों की आस्था को भारतीय लोकतंत्र में गहरा किया है. आपातकाल के समय इसी बिहार से जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में तानाशाही सरकार के खिलाफ आंदोलन चला और लंबे संघर्ष के बाद इस आततायी सरकार का अंत हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि इस अवसर पर जेपी आंदोलनकारी को श्रद्धा पूर्वक सम्मानित किया. 
(Report- Jitendra Chaudhary)

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