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'मैं रामविलास पासवान का राजनीतिक उत्तराधिकारी, चिराग उनकी संपत्ति के वारिस हो सकते हैं'

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने रविवार को जोर देकर कहा कि वह अपने बड़े भाई और दिवंगत नेता रामविलास पासवान के ‘राजनीतिक उत्तराधिकारी’ हैं और उनके बेटे चिराग पासवान 'केवल' दिवंगत भाई की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं.

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 (फाइल फोटो)
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Ashutosh Pratap Singh|Updated: Feb 13, 2023, 07:45 AM IST

Patna: केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने रविवार को जोर देकर कहा कि वह अपने बड़े भाई और दिवंगत नेता रामविलास पासवान के ‘राजनीतिक उत्तराधिकारी’ हैं और उनके बेटे चिराग पासवान 'केवल' दिवंगत भाई की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं. पारस ने यह टिप्पणी यहां पत्रकारों द्वारा उनके भतीजे से रिश्तों के बारे में पूछे गए सवाल पर की. उल्लेखनीय है कि दोनों के रिश्तों में दो साल पहले उस समय तल्खी आ गई थी जब पारस ने बगावत का झंडा उठा लिया था और उनके बड़े भाई द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का विभाजन हो गया था.

'मैं हूं बड़े साहब का उत्तराधिकारी'

रामविलास पारवान की पारंपरिक लोकसभा सीट हाजीपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे पारस ने कहा, 'मैं बता सकता हूं कि कैसे मैं 'बड़े साहेब' का राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं. उन्होंने (रामविलास पासवान) चुनावी करियर की शुरुआत 1969 में बिहार की अलौली सीट के विधायक के तौर पर की और वर्ष 1977 में हाजीपुर से सांसद बनने के लिए आलौली सीट छोड़ दी. उन्होंने मुझे इस विधानसभा सीट से लड़ने को कहा और उनके आदेश के बाद मैं उक्त सीट से जीता, जबकि तब मैं सरकारी नौकरी कर रहा था.' 

'बड़े साहब के कहने पर ही किया था दिल्ली का रुख'

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में संसदीय पारी तब शुरू की जब उनके भाई ने राज्यसभा का सदस्य बनने का फैसला किया. पारस ने दावा किया 'बड़े साहेब' के कहने पर मैंने दिल्ली का रुख किया जबकि मैं इसके लिए इच्छुक नहीं था. उन्होंने कहा, 'मैं शुरू में तैयार नहीं था. यहां तक मैंने बेटे (चिराग) या भाभीजी (चिराग की मां) को हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ाने पर विचार करने का अनुरोध किया था.' 

पारस ने कहा, 'मैं बिहार में अच्छा समय बिता रहा था. नीतीश कुमार सरकार में मंत्री था और लोजपा की राज्य इकाई का अध्यक्ष था, लेकिन ‘बड़े साहेब’ ने जोर दिया. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बड़ी लहर ने गति नहीं पकड़ी थी और उनका मानना था कि केवल मैं इस सीट पर पार्टी की जीत कायम रख सकता हूं. मैंने चुनाव अभियान के दौरान भी अपनी अनिच्छा छिपाई नहीं.

(इनपुट भाषा के साथ) 

 

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