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Nitish Kumar: नीतीश कुमार को आखिर फूलपुर सीट से ही क्यों लड़वाना चाहती है JDU? जानें 5 बड़ी वजहें

Phulpur Seat: जेडीयू चाहती है कि नीतीश कुमार इस बार फूलपुर से चुनाव लड़ें. उत्तर प्रदेश के जेडीयू नेताओं ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे यूपी के फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें. 

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
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K Raj Mishra|Updated: Oct 29, 2023, 01:27 PM IST

Nitish Kumar Will Contest Phulpur Seat: लोकसभा चुनाव 2024 में अभी तकरीबन 6 महीने का वक्त बाकी है, लेकिन यूपी की फूलपुर सीट अभी से चर्चा में आ गई है. हमेशा से वीवीआईपी सीटों में शुमार रही ये सीट एक बार फिर से हॉट सीट में तब्दील होते दिख रही है. वजह हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. जेडीयू चाहती है कि नीतीश कुमार इस बार फूलपुर से चुनाव लड़ें. उत्तर प्रदेश के जेडीयू नेताओं ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे यूपी के फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें. जेडीयू के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के नेता भी यही चाहते हैं. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव तो बहुत पहले नीतीश को यूपी से चुनाव लड़ने का न्यौता दे चुके हैं. उन्होंने वादा किया है कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता नीतीश के लिए वोट मांगेंगे. 

ऐसे में नीतीश पर फूलपुर से चुनाव लड़ने का प्रेशर बढ़ता जा रहा है. दबाव बढ़ता देख मुख्यमंत्री ने भी अपनी कमर कस ली है. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने सभी नेताओं की बातों को बड़े ध्यान से सुना और दिसंबर में यूपी का दौरा करने का आश्वासन दिया है. यूपी में 24 सीटों पर जेडीयू तैयारी कर रही है. उत्तर प्रदेश में जेडीयू के संयोजक ने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आश्वासन दिया है कि वह दिसंबर महीने में उत्तर प्रदेश आएंगे और उसके उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे. कार्यक्रम में जनता का समर्थन देखकर ही वह तैयारी करेंगे कि यूपी में चुनाव लड़ा जाए या नहीं. ऐसे में सवाल ये है कि पार्टी आखिर क्यों नीतीश को यूपी से चुनाव लड़वाना चाहती है. इसकी 5 बड़ी वजह हैं.
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5 अहम वजहें

पहली वजह- सीएम नीतीश भी कुर्मी समाज से आते हैं. इस सीट पर कुर्मी समाज का खासा राजनीतिक प्रभाव है. इसके अलावा मुस्लिम और यादव भी अहम भूमिका निभाते हैं. इस समीकरण के कारण ही अब तक इस सीट से कुर्मी समाज के 9 नेता जीतकर दिल्ली पहुंच चुके हैं.

दूसरी वजह- फूलपुर सीट को वीवीआईपी सीट के रूप में देखा जाता है. इस सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले दो नेता प्रधानमंत्री बने हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी इसी सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए थे. इसके अलावा विश्वनाथ प्रताप सिंह भी इसी सीट से चुनाव जीतकर पीएम बने थे. यह सीट दलित नेता काशीराम की कर्मभूमि भी रह चुकी है. 

तीसरी वजह- बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. महागठबंधन की भीड़ में उन्हें ज्यादा से ज्यादा 16 सीटें ही मिल सकती हैं. नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनने के लिए ये पर्याप्त नहीं है. इसके लिए ही पार्टी बिहार के बाहर भी संभावनाएं खोज रही है. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं, यही वजह है कि देश को यूपी से सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री मिले हैं. 

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चौथी वजह- मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए उन्हें चौतरफा घेरने की रणनीति पर काम हो रहा है. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार फूलपुर से तो वाराणसी से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ सकती हैं. ऐसे में मोदी-योगी का पूरा फोकस अपने गढ़ को बचाने पर रहेगा और विपक्ष को इससे फायदा मिलेगा.

पांचवी वजह- यूपी के ओबीसी वोटबैंक पर अखिलेश यादव की पकड़ ढ़ीली पड़ चुकी है. अब वो सिर्फ यादवों के नेता बनकर रह चुके हैं. लगातार चुनाव हारने से यादव वोटर भी उनका साथ छोड़ता दिखाई दे रहा है. नीतीश को यूपी लाकर इस वोटबैंक को साधने का प्रयास होगा. 

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