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Lok Sabha Election 2024 Siwan Seat: कभी सीवान सीट पर बोलती थी बाहुबली मो. शहाबुद्दीन की तूती, जानें आज कैसे हैं समीकरण

बिहार का भोजपुरी भाषी क्षेत्र सीवान लोकसभा सीट वैसे ही काफी सुर्खियों में रहा है. इस सीट से 4 बार बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन जीतकर संसद पहुंचे. एक बार शहाबुद्दीन जनता दल तो तीन बार वह राजद के टिकट पर संसद की सीढ़ियां चढ़ने में कामयाब रहे थे.

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(फाइल फोटो)
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Gangesh Thakur|Updated: Jan 15, 2024, 12:18 PM IST

Lok Sabha Election 2024 Siwan Seat: बिहार का भोजपुरी भाषी क्षेत्र सीवान लोकसभा सीट वैसे ही काफी सुर्खियों में रहा है. इस सीट से 4 बार बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन जीतकर संसद पहुंचे. एक बार शहाबुद्दीन जनता दल तो तीन बार वह राजद के टिकट पर संसद की सीढ़ियां चढ़ने में कामयाब रहे थे. 1957 में हुए इस सीट पर पहले आम चुनाव में महिला प्रत्याशी कांग्रेस की झूलन सिंह ने जीत हासिक की थी इसके बाद से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. फिर इमरजेंसी के बाद 1977 में यह सीट कांग्रेस से भारतीय लोक दल ने छीन ली. 

इस सीट पर 1996 से 2009 तक मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कब्जा जमाए रखा. 2014 में मोदी लहर में यह सीट भाजपा के हिस्से में आई. जबकि 2019 में इस सीट को भाजपा-जदयू गठबंधन की वजह से लड़ने के लिए जदयू को मिला और जदयू ने यहां जीत हासिल की. इस सीट पर राजद ने शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब को उनके जेल जाने के बाद से तीन बार उम्मीदवार बनाया लेकिन तीनों ही बार वह हार गईं. 

बता दें कि जेल में रहकर भी शहाबुद्दीन इस सीट पर 2004 में लोकसभा का चुनाव जीत गए थे. यहां इस सीट पर MY समीकरण के साथ कुशवाहा, मल्लाह और दलित वोट बैंकों का भी अपना खासा प्रभाव है. सवर्ण, रविदास और कुशवाहा-कुर्मी वोटर यहां का चुनावी गणित बदलने की ताकत रखते हैं. इस सीट पर ओमप्रकाश यादव ने निर्दलीय 2009 में चुनाव जीतकर मोहम्मद शहाबुद्दीन को पटखनी दी थी. यह भी तब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना था. 

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इस लोकसभा सीट पर 18 लाख के करीब मतदाता हैं जो अपने मताधिकार का प्रयोग कर यहां से सांसद चुनते हैं. सीवान लोकसभा सीट के अंतर्गत सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दारौंदा, बड़हरिया विधानसभा सीटें आती हैं. 1984 के बाद इस सीट से कांग्रेस का सफाया हो गया था. इसके बाद से इस सीट पर कभी कांग्रेस जीत नहीं दर्ज कर पाई है. मोहम्मद शहाबुद्दीन को चर्चित तेजाब कांड में उम्र कैद की सजा मिलने के बाद यहां राजद कमजोर हुई और यहां के वोटरों का चुनावी मिजाज भी बदल गया. 

 

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