trendingNow/india/bihar-jharkhand/bihar01546968
Home >>Bihar-jharkhand politics

उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी न छोड़ने की घोषणा से बढ़ेगी JDU की मुश्किलें! BJP ने भी चली चाल

पार्टी नेतृत्व पर ही जिस तरह कुशवाहा आक्रामक है उससे तय है कि उसने अलग रास्ता अख्तियार कर लिया है. कहा जा रहा है कुशवाहा जहां पार्टी से निकाले जाने के बाद 'शहीद' होकर लोगों की सहानुभूति जुटाने की योजना बनाकर तैयार हैं.

Advertisement
जदयू के नेता भी मानते हैं कि कुशवाहा को भाजपा का शह प्राप्त है.
Stop
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jan 27, 2023, 08:45 PM IST

पटना: बिहार की राजनीति में इस समय सबकी नजर जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा पर टिकी हुई है. जिस तरह कुशवाहा ने अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ पार्टी में रहकर ही मोर्चा खोल दिया है, उससे पार्टी भी दुविधा में है. जदयू के नेता भी मानते हैं कि कुशवाहा को भाजपा का शह प्राप्त है, लेकिन कोई इसे लेकर खुल कर नहीं बोल पा रहा.

पार्टी नेतृत्व पर ही जिस तरह कुशवाहा आक्रामक है उससे तय है कि उसने अलग रास्ता अख्तियार कर लिया है. कहा जा रहा है कुशवाहा जहां पार्टी से निकाले जाने के बाद 'शहीद' होकर लोगों की सहानुभूति जुटाने की योजना बनाकर तैयार हैं, वहीं पार्टी इनसे मुक्ति तो चाह रही है, लेकिन शहीद नहीं होने देना चाह रही है.

ऐसी स्थिति में भाजपा दर्शक की भूमिका है. भाजपा किसी भी परिस्थिति में अपना लाभ ही देख रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि जिन्होंने भी राजद के शासनकाल के दौरान जंगल राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी है उसके लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं. जायसवाल के इस बयान के बाद साफ है कि कुशवाहा को भाजपा लेने के लिए तैयार है.

वैसे, उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू में अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ( रालोसपा ) का विलय किया है, ऐसी परिस्थिति में कुशवाहा अगर भाजपा में जाते हैं, तो वे सिर्फ जदयू के एक नेता के रूप में जाएंगे. ऐसी स्थिति में भाजपा में कुशवाहा का मूल्यांकन भी करेगी.

वैसे, संभावना यह भी है कि कुशवाहा के साथ कई सांसद और विधायक भी हैं. ऐसी स्थिति में जदयू से अलग होते हैं, तो वो कितने विधायकों या नेताओं को अपने साथ ला सकते हैं, इस पर भाजपा जरूर नजर रखेगी. माना जाता है कि कुशवाहा ने अपनी हिस्सेदारी की मांग पर इसी का संकेत दिया है.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी जदयू के पूर्व अध्यक्ष आर सी पी सिंह के साथ भी पार्टी में यही स्थिति बनी थी और तब उसने पार्टी से अलग रास्ता अख्तियार कर लिया. लेकिन इससे उलट कुशवाहा ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि वे पार्टी नहीं छोड़ने वाले है . ऐसे में यह साफ है कि वे पार्टी में रहकर ही पार्टी नेतृत्व की टेंशन बढ़ाते रहेंगे.

(आईएएनएस)

Read More
{}{}