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बेलागंज और इमामगंज उप-चुनाव लड़ सकता है जन सुराज, प्रशांत किशोर ने गया में किया बड़ा ऐलान

Belaganj and Imamganj By Election: बेलागंज और इमामगंज विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार खड़े करने का संकेत देकर प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में बड़ा धमाका कर दिया है. अब एनडीए और महागठबंधन को नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार करनी होगी, क्योंकि मैदान में एक और खिलाड़ी जोर आजमाइश के लिए मौजूद होगा. 

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प्रशांत किशोर, संस्थापक, जनसुराज
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Sunil MIshra|Updated: Aug 17, 2024, 01:08 PM IST

जन सुराज बिहार के बेलागंज और इमामगंज में होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतार सकता है. जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने गया में इस बात के संकेत दिए. प्रशांत किशोर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देने के क्रम में कहा, जन सुराज (Jan Suraj) चुनाव लड़ेगा तो बेलागंज और इमामगंज दोनों जगह लड़ेगा. प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर उपचुनाव 2 अक्टूबर के बाद होता है तो निश्चित तौर पर जन सुराज उपचुनाव में भाग लेगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा, अगर उपचुनाव 2 अक्टूबर से पहले चुनाव होता है तो जन सुराज के साथी जन सुराज से जुड़े किसी निर्दलीय को समर्थन देकर चुनाव लड़ाने को लेकर विचार करेंगे.

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प्रशांत किशोर ने जैसा ऐलान किया है, अगर वैसा ही वे अमल करते हैं तो न केवल एनडीए, बल्कि महागठबंधन के दलों को भी अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है. प्रशांत किशोर पिछले 2 साल से बिहार के गांव गांव जा रहे हैं और अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं. बिहार में प्रशांत किशोर की पहल को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल जैसा करार दिया जा रहा है. प्रशांत किशोर के जन सुराज से न केवल युवा वर्ग काफी उम्मीदें लगा रहा है, बल्कि वंचित और पिछड़े वर्ग को भी उन्होंने एक संदेश देने की कोशिश की है. 

दरअसल, प्रशांत किशोर बेलागंज और इमामगंज विधानसभा उपचुनाव को जन सुराज के लिए एक टेस्ट के तौर पर यूज करना चाहते हैं. इन उपचुनावों से उन्हें अंदाजा लग जाएगा कि बिहार में वे जो पार्टी खड़ी करने जा रहे हैं, उसको लेकर लोगों का रिस्पांस कैसा है. इस तरह किसी नई पार्टी का उपचुनाव में उतरने की यह शायद देश की पहली चुनावी घटना होगी. अकसर राजनीतिक दल किसी बड़े चुनाव जैसे लोकसभा चुनाव या फिर विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को उतारते हैं, जबकि प्रशांत किशोर उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने जा रहे हैं. 

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जो भी हो, यह तय है कि बिहार की राजनीति अब त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ती दिख रही है. एक तरफ एनडीए, दूसरी तरफ महागठबंधन तो तीसरी ताकत के रूप में प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पार्टी होगी. इस उपचुनाव में पता चल जाएगा कि प्रशांत किशोर पिछले 2 साल से जो मेहनत कर रहे हैं, उससे वह जमीन पर कितना मजबूत हुए हैं. खास बात यह है कि इस उपचुनाव में यह भी साफ हो जाएगा कि प्रशांत किशोर एनडीए या फिर महागठबंधन को टक्कर दे पाने की स्थिति में हैं या नहीं. 

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