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2024 से पहले पक्ष-विपक्ष एक दूसरे से पूछ रहे बताओ 'दुल्हा कौन है'? जमकर हो रही सियासी बयानबाजी

इस बार केंद्र की सत्ता संघर्ष का केंद्र बिहार बना हुआ है. बिहार से ही विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश भाजपा के खिलाफ हो रही है. वहीं भाजपा लगातार हमलावर होकर बिहार की 40 सीटों पर लोकसभा चुनाव में जीत का दावा कर रही है.

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(फाइल फोटो)
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Gangesh Thakur|Updated: Apr 24, 2023, 06:21 PM IST

पटना: इस बार केंद्र की सत्ता संघर्ष का केंद्र बिहार बना हुआ है. बिहार से ही विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश भाजपा के खिलाफ हो रही है. वहीं भाजपा लगातार हमलावर होकर बिहार की 40 सीटों पर लोकसभा चुनाव में जीत का दावा कर रही है. ऐसे में बिहार में सियासी बयानबाजी पार्टियों के बीच नहीं हो ऐसा हो ही नहीं सकता है. नीतीश कांग्रेस, आप और वाम दलों के नेता से मिलने के बाद सोमवार को ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मिलने निकले तो भाजपा ने जमकर हमला बोला. इस पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कह दिया की अभी तो देश में पीएम पद के लिए वैकेंसी नहीं है. उन्होंने पूछ लिया कि जो विपक्ष को इकट्ठा कर रहे हैं वह बताएंगे कि उनकी तरफ से पीएम का चेहरा कौन है. 

सम्राट ने विपक्ष से तल्ख लहजे में पूछा कि गठबंधन तो कर लेंगे लेकिन पहले यह तो तय करके बताएं कि दुल्हा कौन होगा. उन्होंने साफ कहा कि प्रदेश के संसाधनों का बेजा इस्तेमाल नीतीश कुमार कर रहे हैं. वह बिहार में विकास का कोई काम नहीं कर रहे और संसाधनों को बर्बाद कर रहे हैं. 

सम्राट चौधरी के बयान पर विपक्ष की तरफ से मोर्चा संभाला जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने, ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार विपक्ष को भाजपा के खिलाफ इकट्ठा करने में लगे हैं. भाजपा जो दुल्हे को लेकर सवाल पूछ रही है उनके दुल्हे को देखिए देश से जो वादा किया उसे पूरा नहीं कर पाए उनके दूल्हे को ऐसे में कौन पूछ रहा है. हमारे यहां दुल्ला कौन है नहीं है वह तो छोड़ दीजिए. भाजपा खुद हताशा की स्थिति में है कि उनके दुल्हे को कोई लड़की नहीं देना चाहता है. 

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बता दें कि इससे पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव आज महागठबंधन की तरफ से विपक्ष को एकजुट कर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के उद्देश्य से ममता बनर्जी से मिलने गए थे. जहां ममता ने भी विपक्ष की एकता की बात करते हुए कहा कि ईगो का तो सवाल ही नहीं है. वह भी इस विपक्षी एकता का हिस्सा बनेंगी. हालांकि यह लगता मुश्किल है क्योंकि कांग्रेस के साथ ममता और अखिलेश दोनों ही सहज महसूस नहीं कर रहे हैं. ऊपर से नीतीश को ज्यादा तरजीह मिलने की वजह से शरद पवार भी नाराज चल रहे हैं. ऐसे में विपक्षी एकता रंग लाएगी यह तो भविष्य में ही पता चल पाएगा. 

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