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Lok Sabha Election 2024: 'नीतीश ने जो माहौल बनाया, उसे पंचर किया जा रहा...', इंडी गठबंधन को आनंद मोहन की सलाह

Anand Mohan News: आनंद मोहन ने कहा कि पांच राज्यों के परिणाम से निश्चित तौर पर बीजेपी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि पूर्व सांसद ने इसके लिए भी कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया.

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आनंद मोहन
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K Raj Mishra|Updated: Dec 25, 2023, 09:37 AM IST

Anand Mohan News: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी गठबंधन (I.N.D.I.A.) में अभी तक ना सीट शेयरिंग पर और ना ही चेहरे पर कोई आम सहमति बन सकी है. इसको लेकर बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने विपक्षी गठबंधन को सलाह दी है. आनंद मोहन ने कहा कि इससे बीजेपी को फायदा मिल सकती है. पूर्व सांसद ने विपक्षी गठबंधन में नीतीश कुमार को चेहरा बनाने की वकालत की. इंडी अलायंस में मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम कैंडिडेट बनाए जाने के प्रस्ताव पर भी आनंद मोहन ने तंज कसा. उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ नीतीश कुमार ने जो माहौल बनाया है, उस प्रयास को पंचर किया जा रहा है. 

आनंद मोहन ने कहा कि पांच राज्यों के परिणाम से निश्चित तौर पर बीजेपी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि पूर्व सांसद ने इसके लिए भी कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि इसमें विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी और उसका अहंकार वजह बनी.  पूर्व सांसद ने कहा कि अगर सभी मिलकर चुनाव लड़े होते तो शायद परिणाम कुछ और होते. 

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आनंद मोहन ने कहा कि अगर इन तीन राज्यों में लालू यादव, नीतीश कुमार, देवगौड़ा, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और फारूख अब्दुल्लाह को ऐसे तमाम विभिन्न पार्टियों के लोगों को अभियान में सम्मलित किया जाता तो परिणाम कुछ और होता. उन्होंने कहा कि मीडिया ने जो आंकलन दिया और समीक्षा करके कांग्रेस के फेवर में रिपोर्ट निकाली, वो कांग्रेस की आत्मुक्ता का और मुगालता का कारण बनी. अगर कांग्रेस इसी परिणाम के लिए विपक्षी एकता की मुहिम को रोकी हुई थी और इसी परिणाम को लेकर तीन महीने से व्यस्त थी. तो कांग्रेस आलाकमान को इस व्यस्तता की भी समीक्षा करनी चाहिए.

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सांसदों के निलंबन पर पूर्व सांसद ने कहा कि केंद्र चाहता है कि उसके सामने कोई विपक्ष नहीं हो. उसके सामने कोई आवाज ही नहीं उठे. उन्होंने कहा कि मजबूत केंद्र के खिलाफ मजबूत विपक्ष होना चाहिए. आज जो स्थिति है, यह लोकतंत्र के हित के लिए नहीं है. निलंबन के जरिए एक गलत परंपरा की नींव रखी जा रही है. निलंबन के बदले आत्ममंथन होना चाहिए. हमें सुनने का साहस होना चाहिए.

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